सतीश, सन्मार्ग संवाददाता
हुगली: पश्चिम बंगाल में ‘एसआईआर’ (SIR) को लेकर फैले भय और भ्रम के बीच एक और दर्दनाक घटना सामने आई है। डानकुनी नगरपालिका क्षेत्र के 20 नंबर वार्ड, नजरूलपल्ली की निवासी हसीना बेगम की मौत को लेकर इलाके में तनाव फैल गया है। परिजनों का आरोप है कि ‘एसआईआर के आतंक’ के कारण हसीना की जान गई। जानकारी के अनुसार, हसीना बेगम किराये के मकान में अपनी बेटी के साथ रहती थीं। कुछ दिन पहले उन्हें पता चला कि 2002 की मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज नहीं है। इसी सूचना के बाद से वह लगातार भय और तनाव में थीं। परिजनों ने बताया कि उन्हें डर था कि नाम न होने की वजह से कहीं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न हो जाए या उन्हें नागरिकता से जुड़ी परेशानियों का सामना न करना पड़े। इसी चिंता के चलते शनिवार देर रात उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और हृदयाघात से उनकी मौत हो गई।
चेयरमैन हसीना शबनम ने कहा — ‘एसआईआर का भय दूर करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी’
घटना की खबर मिलते ही डानकुनी नगरपालिका की चेयरमैन हसीना शबनम मौके पर पहुँचीं। उन्होंने बताया कि हसीना बेगम को पिछले कुछ दिनों से ‘एसआईआर’ से जुड़ी अफवाहों और भय का गहरा असर हुआ था। चेयरमैन ने कहा कि यह मौत प्रशासन के लिए चेतावनी है कि ‘एसआईआर’ को लेकर लोगों के बीच व्याप्त भ्रम और आतंक को दूर करना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में एक और व्यक्ति भी इसी भय के कारण बीमार पड़ गया है।
अभिषेक बनर्जी के निर्देश पर सक्रिय हुआ तृणमूल नेतृत्व, परिवार को मदद और जागरूकता अभियान की मांग
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने घटना का संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ नेता और सांसद कल्याण बनर्जी को तुरंत डानकुनी भेजा। तृणमूल नेतृत्व ने मृतका के परिजनों से मुलाकात कर सांत्वना दी और हर संभव आर्थिक एवं प्रशासनिक मदद का आश्वासन दिया।स्थानीय तृणमूल कार्यकर्ताओं ने इस घटना को ‘एसआईआर के दहशत की शिकार’ बताया और कहा कि विपक्षी दलों द्वारा फैलाए जा रहे झूठे प्रचार के कारण आम लोगों में डर फैलाया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि प्रशासन तत्काल लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाए, ताकि इस तरह की घटनाएँ दोबारा न हों।