पश्चिम बंगाल

आज से मरीजों के जेब पर बढ़ेगा बोझ

डायबिटीज, बुखार और एलर्जी समेत ये दवाइयां हुईं महंगी

कोलकाता : 1 अप्रैल यानी आज से कई आवश्यक दवाओं की कीमतें बढ़ने जा रही हैं। पेनकिलर, एंटीबायोटिक्स, एंटी-इंफेक्टिव्स, एंटी-डायबिटिक्स और कैंसर की दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की गई है। नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिन्स में सूचीबद्ध कई दवाओं की कीमतों में 1.74% की वृद्धि की गई है। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) के अनुसार, 2024 में वार्षिक होलसेल प्राइस इंडेक्स में 2023 की तुलना में 1.74% की वृद्धि हुई है। 2013 के ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर के अनुच्छेद 16 के तहत, अब से दवा निर्माता कुछ निर्धारित दवाओं की अधिकतम खुदरा कीमत (एमआरपी) बढ़ा सकते हैं और इसके लिए सरकार से पूर्वानुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। सूची में शामिल लगभग 1000 आवश्यक दवाओं की कीमतों में यह बढ़ोतरी लागू होगी। ये वे दवाएं हैं, जिनकी कीमतों में साल में एक बार वृद्धि अनुमोदित नियमों के अंतर्गत आती है। इस सूची में पैरासिटामोल, बैक्टीरियल इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन, एंटी-अनीमिया मेडिसिन, विटामिन, मिनरल्स और कुछ विशेष स्टेरॉयड शामिल हैं। हालांकि, फार्मा उद्योग से जुड़े अधिकारियों ने इस मूल्य वृद्धि को लेकर असंतोष जताया है। उनका कहना है कि लगातार दूसरे साल दवाओं की कीमतों में इजाफा हो रहा है और यह अब एक चलन बनता जा रहा है। पिछले साल भी होलसेल प्राइस इंडेक्स के आधार पर 0.00051% की वृद्धि की गई थी। 2022 और 2023 में क्रमशः 10% और 12% कीमतें बढ़ी थीं, जिसका कारण इनपुट लागत में वृद्धि को बताया गया था।

बंगाल केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष शंखा रॉय चौधरी ने कहा, "बीसीडीए दवाओं के दाम बढ़ाए जाने का विरोध करता है। दवाओं के दाम बढ़ने से मरीजों को काफी ज्यादा परेशानी उठानी पड़ेगी। पिछले साल भी दवाओं के दाम बढ़ाए गए थे। भले ही इस साल केवल 1.74% की बढ़ोतरी की जा रही हो, लेकिन इससे हर मरीज प्रभावित होगा। सरकार को आवश्यक दवाओं की कीमतों को कम करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि मूल्य वृद्धि पर।" गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में फार्मास्युटिकल सामग्री की कीमतों में 15% से 130% तक की वृद्धि हुई है। सिर्फ पैरासिटामोल की कीमत में ही 130% का इजाफा हुआ है। ग्लिसरीन और प्रोपाइलीन ग्लाइकोल जैसे सॉल्वेंट्स की कीमतें क्रमशः 263% और 83% बढ़ी हैं। अन्य एक्सिपिएंट्स की कीमतें 18% से 262% तक बढ़ी हैं, जबकि इंटरमीडिएट्स की कीमतें 11% से 175% तक बढ़ चुकी हैं। पेनिसिलिन जी दवा की कीमत में भी 175% की बढ़ोतरी देखी गई है।

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