सन्मार्ग संवाददाता
हुगली/ कोलकाता : पाकिस्तान पर भारत की एक और बड़ी कूटनीतिक जीत हुई। पाकिस्तान ने बुधवार को बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार साव को भारत को सौंप दिया। हुगली के रिसड़ा का रहने वाला बीएसएफ जवान पूर्णम 22 दिनों से पाकिस्तान रेंजर्स की कैद में था। पंजाब में स्थित दो देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर उसकी ड्यूटी थी, लेकिन गलती से वह सीमा पार कर पाकिस्तान की ओर चला गया था। बीएसएफ के प्रवक्ता की ओर से बयान जारी कर बताया गया कि बुधवार की सुबह लगभग 10.30 बजे अमृतसर में (पाकिस्तान के वाघा के विपरीत) अटारी के संयुक्त चेक पोस्ट पर पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा कांस्टेबल को बीएसएफ के हाथों सौंप दिया गया। बल द्वारा जारी जवान की तस्वीर में साव दाढ़ी और बिखरे हुए बालों के साथ गहरे हरे रंग की गोल गले वाली टी-शर्ट पहने हुए दिखाई दे रहे हैं। बीएसएफ प्रवक्ता ने कहा, ‘सुबह 10.30 बजे बीएसएफ कांस्टेबल पूर्णम कुमार साव को पाकिस्तान से अटारी-वाघा सीमा पर बीएसएफ ने वापस लिया।’ यहां उल्लेखनीय है कि गत 23 अप्रैल को पूर्णम फिरोजपुर सेक्टर में ड्यूटी पर था और सुबह 11.50 बजे गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान की ओर चला गया था।
प्रवक्ता ने बताया कि सीमा पर जवान को सौंपने का काम ‘शांतिपूर्ण तरीके से और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया।’ उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान रेंजर्स के साथ नियमित फ्लैग मीटिंग और अन्य संचार चैनलों के माध्यम से बीएसएफ के लगातार प्रयासों से बीएसएफ कांस्टेबल की वापसी संभव हो पायी है।’ पूर्णम को पाकिस्तान रेंजर्स ने पहलगाम आतंकवादी हमले के एक दिन बाद पकड़ा था जिसमें 26 लोग मारे गए थे। जवान ‘किसान गार्ड’ का हिस्सा था जिसे भारतीय किसानों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था, जो बाड़ के आगे अपनी जमीन जोतते हैं और जवान ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के संरेखण का ‘गलत अनुमान’ लगाया और पास के एक पेड़ के नीचे आराम करने के लिए चला गया, जहां से रेंजर्स ने उसे पकड़ लिया। पूर्णम की पत्नी बीएसएफ अधिकारियों और प्रेस से अपने पति के ठिकाने और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य हमले के मद्देनजर उनकी जल्द रिहाई की मांग कर रही थीं।