कानपुर : उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जेल में बंद वकील अखिलेश दुबे के कथित करीबी सहयोगी और निलंबित पुलिस निरीक्षक सभाजीत मिश्रा को लगभग 300 करोड़ रुपये मूल्य की वक्फ संपत्ति के अवैध कब्जे में अहम भूमिका निभाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
मिश्रा को आठ घंटे की गहन पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया गया। उन्हें शुक्रवार को एसआईटी ने पूछताछ के लिए बुलाया था।
पुलिस विभाग के सूत्रों ने शनिवार को बताया कि गिरफ्तारी की खबर सुनते ही मिश्रा रोने लगे और उन्होंने दावा किया कि वह ‘सिर्फ अपने वरिष्ठों के निर्देशों का पालन कर रहे थे’।
मिश्रा ने पूछताछ के दौरान एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की संलिप्तता का संकेत दिया और दावा किया कि नियमों को ‘दुबे के इशारे पर तोड़ा-मरोड़ा गया’। एसआईटी ने हालांकि किसी भी आईपीएस अधिकारी की भूमिका की पुष्टि नहीं की है।
यह मामला 13 अगस्त को नवाब इब्राहिम के 80 वर्षीय वंशज मोइनुद्दीन आसिफ जाह शेख द्वारा ग्वालटोली पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत से शुरू हुआ था।
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि दुबे, उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों के अलावा तत्कालीन थाना प्रभारी (जाजमऊ) सभाजीत मिश्रा ने धोखाधड़ी से वक्फ की एक संपत्ति हड़प ली थी, जो मूल रूप से 1911 में पट्टे पर दी गई थी।
शिकायत में कहा गया था कि 99 साल का पट्टा 2010 में समाप्त हो गया, जिससे किरायेदारों के साथ विवाद शुरू हो गया। जांचकर्ताओं को जाली दस्तावेजों, ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के दुरुपयोग और किरायेदारों को परिसर खाली करने के लिए मजबूर करने के सबूत मिले।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मिश्रा का सहयोग दुबे के नेटवर्क को जमीन पर नियंत्रण मजबूत करने में महत्वपूर्ण था।
ग्वालटोली के थाना प्रभारी संतोष गौड़ ने बताया कि दुबे, उनके भाई सर्वेश दुबे, भतीजी सौम्या, सहयोगी शिवांश उर्फ पप्पू, जयप्रकाश दुबे, राजकुमार शुक्ला और निरीक्षक सभाजीत मिश्रा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया।
उन्होंने बताया, फर्जी पहचान पत्र बनाए गए, झूठे हलफनामे दाखिल किए गए और यहां तक कि एक मृत व्यक्ति के नाम का इस्तेमाल ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ जारी करने के लिए किया गया। एसआईटी अब दुबे के सिंडिकेट और पुलिस के बीच कथित सांठगांठ की जांच कर रही है। थाना प्रभारी ने बताया कि गिरफ्तार निरीक्षक को शनिवार को अदालत में पेश किया गया।