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उत्तर प्रदेश

SIR ने बिखरे रिश्तों में फिर से लौटाई जान

मतदाता सूची की जानकारी जुटाने की प्रक्रिया ने परिजनों से संपर्क करने के लिए किया मजबूर

बरेली : प्रेम विवाह के चलते परिवार से कट चुके बरेली के कई युवाओं के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अप्रत्याशित रूप से रिश्तों को जोड़ने वाला सेतु बन गया है। मतदाता सूची की जानकारी जुटाने की प्रक्रिया ने कई ऐसे लोगों को वर्षों बाद अपने परिजनों से संपर्क करने के लिए मजबूर किया, जो घर से अलग होकर बिल्कुल नया जीवन जी रहे थे।

वर्षों बाद विनम्रता से बातचीत

बिथरी चैनपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम खेड़ा के रामवीर सिंह ने बताया कि उनका बेटा अवधेश 10 साल पहले गांव की ही लड़की के साथ भाग गया था और तब से उसका कोई पता नहीं था। अचानक गुजरात के भावनगर से अवधेश का फोन आया। अवधेश और उसकी पत्नी ने वर्षों बाद बहुत विनम्रता से बात की। अवधेश अब 2 बच्चों का पिता है। उसने मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए 2003 की सूची का विवरण मांगा।

फूट-फूटकर रो पड़ी मां

आंवला संसदीय क्षेत्र के बिलपुर निवासी केशव की बेटी भी 9 साल पहले अपने मामा के लड़के के साथ चली गई थी। रिश्तेदारों के समझाने के बाद भी दोनों नहीं माने और फोन नंबर तक बदल दिये। SIR की जानकारी जुटाने के लिये वर्षों बाद बेटी ने अचानक फोन किया। बेटी की आवाज सुनकर उसकी मां फूट-फूटकर रो पड़ी। 

वर्षों बाद माता-पिता की आयी याद

बरेली के जोगी नवादा की स्नेहलता(40) करीब 15 साल पहले अपने प्रेमी ओमकार चौधरी के साथ चली गई थीं। परिवार ने प्राथमिकी दर्ज कराई, लेकिन स्नेहलता ने प्रेमी के पक्ष में बयान दिया था। SIR के दौरान जब अधिकारियों ने उनसे 2003 की मतदाता सूची पर आधारित ‘एपिक आईडी’ मांगी, तो उन्हें अपने माता-पिता का ध्यान आया और वर्षों बाद उन्होंने घर फोन कर जरूरी विवरण मांगा।

वर्षों पुरानी दूरी पिघलने लगी

SIR में लगे बूथ स्तरीय अधिकारियों के पास ऐसे कई मामले आये, जिनमें प्रेम विवाह कर घर छोड़ने वाली युवतियां मायके वालों से बात करने को मजबूर हुईं। फरीदपुर में रहने वाली सुलेखा उर्फ रिहाना भी वर्षों बाद अपने परिजनों से बात करने को मजबूर हुईं। बुलंदशहर की निवासी सुलेखा लगभग 10 साल पहले नवाब हसन के साथ रहने आयी थीं। मतांतरण और निकाह के बाद वह रिहाना बन गईं और अब उनके 2 बच्चे हैं।

मायके वालों से उनका कोई संपर्क नहीं था। SIR के फॉर्म में जब पिता की मतदाता क्रमांक संख्या और 2003 की सूची से जुड़े विवरण मांगे गये, तो रिहाना को कुछ भी याद नहीं था। अंततः उन्होंने अपनी मां को फोन किया। कॉल उठते ही दोनों की आवाजों रुंध गईं और वर्षों पुरानी दूरी पिघलने लगी।

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