गोरखपुर/ कानपुर : बर्ड फ्लू की आशंका के कारण 56 दिन तक बंद रहे गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान और कानपुर के कानपुर प्राणी उद्यान मंगलवार को फिर खुल गए। इस संक्रमण के कारण गोरखपुर में दो बाघ, एक तेंदुआ और एक सर्वल की मौत हो गई थी जबकि कानपुर में एक मोर एवं एक एशियाई शेर की जान चली गई थी।
‘शक्ति’ नामक बाघिन में एवियन इन्फ्लूएंजा के एच5एन1 की पुष्टि होने और उसकी मौत के बाद 13 मई को दोनों चिड़ियाघरों को बंद कर दिया गया था। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की एक टीम ने गोरखपुर चिड़ियाघर का दौरा किया था और बत्तखों को वायरस का संभावित स्रोत बताया था। गोरखपुर चिड़ियाघर से एशियाई शेर को इलाज के लिए लाए जाने के बाद कानपुर चिड़ियाघर में भी ‘इन्फ्लूएंजा’ फैल गया।
गोरखपुर के चिड़ियाघर के निदेशक विकास यादव ने कहा, प्रोटोकॉल के अनुसार, लगातार दो बार एक के बाद एक रिपोर्ट में संक्रमण नहीं होने की पुष्टि के बाद चिड़ियाघर को खोलने की अनुमति दी गई है। जनता और जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरती जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि भोपाल में राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) को कई चरणों में 72 नमूने भेजे गए थे जिनमें से किसी में भी संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई। सबसे पहले चार जुलाई और उसके बाद सात जुलाई की रिपोर्ट में संक्रमण नहीं पाए जाने के बाद चिड़ियाघरों को खोलने के लिए सरकार से मंजूरी मिली।
कानपुर चिड़ियाघर रेंज के वन अधिकारी नवेद इकराम ने कहा, एनआईएचएसएडी भोपाल में कई दौर की जांच के बाद 26 मई व 17 जून को लगातार दो बार रिपोर्ट में संक्रमण न पाए जाने की पुष्टि हुई। इसके अलावा, सभी जानवरों के संक्रमण मुक्त होने और आगंतुकों के लिए चिड़ियाघर सुरक्षित होने की भी पुष्टि हुई जिसके बाद कानपुर चिड़ियाघर को फिर से खोलने के लिए मुख्य वन्यजीव वार्डन से लिखित मंजूरी मिल गई।
इस बीच, मंगलवार को गोरखपुर चिड़ियाघर के पुन: खुलने के बाद पहले दिन सुबह नौ से 11 बजे के बीच लगभग 400 आगंतुक पहुंचे जिनमें कई बच्चे भी शामिल थे।