सांकेतिक चित्र 
उत्तर प्रदेश

रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के लिए फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 8 गिरफ्तार

फर्जी आधार कार्ड के लिए 2000 से 40,000 रुपये तक वसूलता था

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने रोहिंग्या और बांग्लादेशियों समेत विदेशी नागरिकों के लिए फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है।

अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था और एसटीएफ) अमिताभ यश ने बताया कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर की गई कार्रवाई में इस गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह गिरोह दस्तावेजों को तैयार करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक और मैनुअल दोनों तरीकों का इस्तेमाल करता था और यह कम से कम देश के नौ राज्यों में सक्रिय था।

एडीजी यश ने कहा, पिछले कुछ महीनों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर तकनीकी और भौतिक रूप से निगरानी के साथ यह पता चला कि यह गिरोह उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तराखंड में सक्रिय था।

अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) के मुताबिक गिरोह के सदस्य शुरुआत में आधार पंजीकरण प्रक्रिया की जानकारी हासिल करने के लिए कानूनी रूप से पंजीकृत जन सेवा केंद्रों में अस्थायी नौकरियों पर काम करते थे। बाद में, उन्होंने अवैध रूप से अधिकृत उपयोगकर्ताओं के आईडी और पासवर्ड, साथ ही अंगूठे के निशान और आईरिस स्कैन तस्वीरें हासिल कर लीं।

इनका इस्तेमाल करके, गिरोह ने अलग-अलग राज्यों में नकली आधार कार्ड बनाए। फिर बिचौलियों ने उन्हें ऐसे लोगों से जोड़ा जिनके पास कोई भारतीय दस्तावेज नहीं थे और जिन्हें अपनी जन्मतिथि या आधिकारिक रिकॉर्ड में बदलाव की जरुरत थी।

उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों के लिए आधार कार्ड जारी करने या उनमें संशोधन करने के लिए नकली जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और हलफनामे तैयार किए गए थे।

एडीजी ने बताया कि विशेष रूप से 2023 के बाद 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए सीधे आधार कार्ड जारी करने पर प्रतिबंध लगने के बाद, गिरोह ने लोगों को 18 वर्ष से कम आयु का दिखाते हुए जाली प्रमाण पत्र जारी करके नियम को दरकिनार कर दिया और उनके लिए धोखाधड़ी से आधार कार्ड बनाए गए।

उन्होंने कहा, प्रत्येक फर्जी आधार कार्ड के लिए, गिरोह 2,000 रुपये से 40,000 रुपये तक वसूलता था। बाद में इन आधार कार्ड का इस्तेमाल लोगों ने पासपोर्ट और अन्य नकली भारतीय दस्तावेज प्राप्त करने तथा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किया।

पुलिस ने बताया कि गिरोह के पास से बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, फ़िंगरप्रिंट स्कैनर, आईरिस स्कैन उपकरण, डमी यूजर प्रोफ़ाइल, लेखपालों और अन्य सरकारी अधिकारियों की नकली मुहरें, साथ ही पहले से तैयार आधार कार्ड और दस्तावेज बरामद किए गए हैं।

एटीएस ने गिरोह के मास्टरमाइंड और सात अन्य सदस्यों को विभिन्न जिलों से गिरफ्तार किया है। एडीजी ने बताया कि लखनऊ के गोमती नगर स्थित एटीएस थाने में मामला दर्ज किया गया है और उनके सहयोगियों तथा कार्यप्रणाली के बारे में और अधिक जानकारी जुटाने के लिए विस्तृत पूछताछ जारी है।

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