लखनऊ : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि सरकार और राज्यपाल को लोगों के लिए काम करना है। इस पूरक रिश्ते में संवेदनशीलता के लिए बहुत कम जगह है। साथ ही राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों को जनता के कल्याण के लिए काम करना है। आनंदीबेन ने कहा, मैं नहीं मानती कि राजभवन के साथ संबंध संवेदनशील होते हैं। सरकार और राज्यपाल दोनों को ही जनता के भले के लिए काम करना होता है। इसमें संवेदनशीलता जैसी कोई बात नहीं होती।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा, पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में सरकार और राजभवन के बीच टकराव जैसे सवाल उठते हैं। ऐसे राज्यों में राज्यपाल की शक्तियों को कम करने के प्रयासों के तहत कानून में बदलाव किए जाते हैं। परिणामस्वरूप मामले अदालत में पहुंचते हैं। राज्यपाल और कुलाधिपति के रूप में अपनी दोहरी जिम्मेदारियों के बारे में पटेल ने कहा, मैं इन दोनों ही दायित्वों का आनंद लेती हूं, क्योंकि यह दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं। बंगाल और केरल के मुकाबले उत्तर प्रदेश में स्थितियां अलग हैं। बंगाल और केरल में राज्यपाल और कुलाधिपति को विश्वविद्यालय में बड़ी मुश्किल से काम करने दिया जाता है। उत्तर प्रदेश में स्थितियां अलग हैं, क्योंकि मैं उसी पार्टी से हूं जो यहां सत्ता में है। यही वजह है कि मुझे किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।
बता दें, पटेल ने 29 जुलाई 2019 को पदभार संभाला था। वह 1949 में सरोजिनी नायडू के बाद उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल हैं। वह सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली राज्यपाल भी हैं। उन्होंने कहा, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच बहुत मामूली सा अंतर होता है। मुख्यमंत्री या मंत्री राज्य के विकास से संबंधित मामलों पर स्वयं निर्णय लेते हैं और उनके क्रियान्वयन तक उसके बारे में जानकारी लेते रहते हैं। विकास कार्यों को अंतिम रूप देना या उनके लिए आवंटन करना राज्यपाल की जिम्मेदारी नहीं है, मगर राज्यपाल केंद्र सरकार की सभी योजनाओं और परियोजनाओं की समीक्षा जरूर कर सकते हैं। बता दें, पटेल 15 अगस्त 2018 से 28 जुलाई 2019 तक छत्तीसगढ़ और 23 जनवरी 2018 से 28 जुलाई 2019 तक मध्य प्रदेश की राज्यपाल भी रहीं।