Kolkata: अदालत की अवमानना का दोषी पाते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने अंडमान के मुख्य सचिव को सस्पेंड कर दिया था और LG पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से LG और चीफ सेक्रेटरी को अब अंतरिम राहत मिली है।
सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के पोर्ट ब्लेयर बेंच के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। दरअसल, मजदूरों से जुड़े आदेश का पालन नहीं करने की वजह से हाईकोर्ट ने अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के चीफ सेक्रेटरी केशव चंद्रा को निलंबित कर दिया था। वहीं HC ने उपराज्यपाल डीके जोशी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। SC ने मामले में अंतरिम रोक लगा दी। 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई करेगा।
'इन दिशा निर्देशों पर रहेंगे कायम'
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, जेबी पारदीवाला की पीठ ने चीफ सेक्रेटरी और एलजी की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की दलीलों पर ध्यान देते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। पीठ ने कहा कि हम इन दिशा-निर्देशों पर कायम रहेंगे जबकि मामले में 11 अगस्त को अगली सुनवाई होगी।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 19 दिसंबर 2023 को अदालत द्वारा पारित एक आदेश ने अंडमान प्रशासन द्वारा नियोजित करीब 4 हजार दैनिक मजदूरों (डीआरएम) को उच्च वेतन और महंगाई भत्ता (डीए) प्रदान किया था लेकिन HC के फैसले का पालन नहीं करने के कारण निलंबन और जुर्माना लगाने का आदेश दिया था। इस फैसले के बाद अंडमान सार्वजनिक निर्माण विभाग मजदूर संघ के वकील गोपाल बिन्नू कुमार ने HC के फैसले का स्वागत किया था।
2017 से वेतन जारी करने का दिया आदेश
जानकारी के अनुसार, 22 सितंबर 2017 को स्थानीय प्रशासन द्वारा एक ज्ञापन जारी कर डीआरएम को एकमुश्त वेतन की बात कही थी। इसके लिए उन्होंने कुछ लाभार्थियों को चुना। ज्ञापन जारी होने के बाद मामले को अदालत में चुनौती दी गई थी। ज्ञापन में कहा गया कि शेष डीआरएम को उनका वेतन 2017 के बदले मई 2023 से मिलेगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने डीआरएम को 2017 से वेतन जारी करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही दैनिक दर वाले मजदूरों को डीए लाभ के साथ वेतन का 1/30वां हिस्सा देने का आदेश दिया था।