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आपके जुराब में क्या है? जीवाणु, फफूंद या फिर कुछ और..

जानें अपने पैरों का ‘सच’, पैर की उंगलियों के बीच की हर चीज

लीसेस्टर (ब्रिटेन) : आपके पैर सूक्ष्मजीवों यानी बैक्टीरिया के ‘घर’ हैं। आपके पैरों की उंगलियों के बीच का क्षेत्र स्वेद ग्रंथियों से भरा होता है और जब हम जुराब और जूते पहन लेते हैं, तब हम वहां की नमी को एक गर्म, नम आवरण में फंसा लेते हैं जो बैक्टीरिया के पनपने के लिए आदर्श जगह है।

पैर की तज्चा पर होती हैं 100 से एक करोड़ सूक्ष्मजीव/वर्ग समी कोशिकाएं

वास्तव में आपके पैर बैक्टीरिया और कवक के लिए एक छोटे से वर्षावन पर्यावास (रेन फॉरेस्ट हैबिटैट) हो सकते हैं, जहां त्वचा की सतह पर प्रति वर्ग सेंटीमीटर में 100 से एक करोड़ सूक्ष्मजीव (माइक्रोआर्गेनिज्म) कोशिकाएं होती हैं। पैरों में न सिर्फ सूक्ष्मजीवों की विशाल विविधता होती है, वहां प्रति व्यक्ति 1,000 विभिन्न प्रजातियां होती हैं बल्कि शरीर के किसी भी अन्य अंग की तुलना में उनमें कवक यानी फफूंद प्रजातियों की एक विस्तृत शृंखला भी होती है। इसका मतलब है कि आपके पैर सिर्फ पसीने से तरबतर या बदबूदार नहीं होते हैं बल्कि वहां वास्तव में जैव विविधता होती है।

बैक्टीरिया और फफूंद पनपने की खास जगह

चूंकि आपके पैरों में विशाल संख्या में सूक्ष्मजीव होते हैं, इसलिए आपके जुराब इन्हीं जीवाणुओं और फफूंद (फंगस) के लिए प्रमुख स्थान बन जाते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि जुराबों में हानिरहित त्वचा के जीवाणु, जैसे ‘कोएगुलेज-नेगेटिव स्टेफिलोकोसी’ और संभावित रूप से खतरनाक रोगाणु जैसे एस्परगिलस, स्टैफिलोकोकस, कैंडिडा, हिस्टोप्लाज्मा और क्रिप्टोकोकस, दोनों ही मौजूद होते हैं। ये सूक्ष्मजीव आपके पैरों की उंगलियों के बीच गर्म, नम जगहों में पनपते हैं तथा पसीने और मृत त्वचा कोशिकाओं से अपना आहार ग्रहण करते हैं। उनके सह उत्पाद जैसे वाष्पशील ‘फैटी एसिड’ और सल्फर यौगिक, ऐसे चीजें होती हैं जो पसीने से तर पैरों, जुराबों और जूतों में दुर्गंध पैदा करती हैं। पसीने की गंध खुद पसीने से नहीं बल्कि उस पसीने के सूक्ष्मजीवी चयापचय से आती है। शायद आश्चर्य की बात नहीं है कि पैरों से बदबू आना इतना आम है कि एनएचएस ने इस मुद्दे पर सलाह के लिए बहुत कुछ कहा है।

जुराबों में कपड़े की तुलना में बहुत ज्यादा बैक्टीरिया और फफूंद

जुराब का माइक्रोबायोम सिर्फ आपके पैरों से ही प्रभावित नहीं होता है बल्कि यह आपके पर्यावरण को भी दर्शाता है। जुराब हर उस सतह से सूक्ष्मजीव ग्रहण करते हैं जिस पर आप चलते हैं, जैसे घर का फर्श, ‘जिम मैट’, ‘लॉकर रूम’ और यहां तक कि आपका बगीचा भी शामिल है। ये सूक्ष्मजीवी स्पंज की तरह काम करते हैं और मिट्टी, पानी, पालतू जानवरों के बाल और रूसी, और रोजमर्रा की जिंदगी की धूल से बैक्टीरिया और फफूंद इकट्ठा करते हैं। एक अध्ययन में सिर्फ 12 घंटे पहने गये जुराबों में किसी भी परीक्षण किये गये कपड़े की तुलना में सबसे ज्यादा बैक्टीरिया और फफूंद पाये गये।

जुराबों पर पैर ही नहीं वातावरण का भी असर

और ये रोगाणु एक जगह नहीं टिकते। आपके जुराबों में रहने वाली कोई भी चीज आपके जूतों, फर्श, बिस्तर और यहां तक कि आपकी त्वचा तक पहुंच सकती है। एक अस्पताल अध्ययन में पता चला कि मरीजों द्वारा पहने जाने वाले जुराबों में फर्श के सूक्ष्मजीव, जिनमें एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी रोगाणु भी शामिल हैं, अस्पताल के बिस्तरों तक पहुंच गये। यह याद दिलाता है कि पैरों की स्वच्छता सिर्फ एक व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है - इसके संक्रमण नियंत्रण और जन स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ सकते हैं।

एथलीट फुट के लिए भी जिम्मेदार!

बहुत बड़े संक्रमणकर्ता ‘मोजे टिनिया पेडिस (जिसे एथलीट फुट के नाम से भी जाना जाता है)’ जैसे फंगस संक्रमणों को फैलाने में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह एक बेहद संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से पैर की उंगलियों को प्रभावित करती है लेकिन एड़ियों, हाथों या कमर तक भी फैल सकती है। यह संक्रमण ‘डर्मेटोफाइट’ फफूंद के कारण होता है, जिन्हें गर्म और नम वातावरण पसंद होता है ठीक वैसे ही जैसे आपको पसीने से तर जुराबों और तंग जूतों में मिलते हैं।

सार्वजनिक जगहों पर नंगे पैर न चलें

इससे बचने के लिए विशेषज्ञ जिम और ‘स्वीमिंग पूल’ जैसी सार्वजनिक जगहों पर नंगे पैर चलने से बचने, जुराब, तौलिये या जूते साझा न करने और पैरों की अच्छी स्वच्छता बनाये रखने की सलाह देते हैं। उनमें पैर की उंगलियों के बीच के हिस्से को अच्छी तरह धोना और सुखाना शामिल है। आमतौर पर स्थानीय ‘एंटीफंगल’ उपचार प्रभावी होते हैं लेकिन रोकथाम ही सबसे जरूरी है। यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि जुराब धोने के बाद भी उसमें ‘कवक बीजाणु’ बने रह सकते हैं। इसलिए अगर आपको ‘एथलीट फुट’ हो गया है, तो उसी जोड़ी को दोबारा पहनने से, भले ही वह साफ दिखे, दोबारा संक्रमण हो सकता है।

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