नयी दिल्ली : भारत की अत्यधिक गरीबी दर 2011-12 में 27.1 प्रतिशत से एक दशक में तेजी से घटकर 2022-23 में 5.3 प्रतिशत रह गयी हालांकि विश्व बैंक ने अपनी गरीबी रेखा की सीमा को संशोधित कर तीन डॉलर प्रति दिन कर दिया है। विश्व बैंक का मानना है कि मुफ्त और रियायती खाद्यान्न हस्तांतरण से गरीबी में कमी आयी और ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर कम हुआ। पांच सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में 54 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोग रहते हैं।
2022-23 में गरीबी दर 5.3 प्रतिशत
विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा कि 2017 और 2021 के बीच भारत की मुद्रास्फीति दर को देखते हुए तीन डॉलर की संशोधित अत्यधिक गरीबी रेखा 2021 की कीमतों में व्यक्त 2.15 डॉलर की सीमा से 15 प्रतिशत अधिक होगी और इसके परिणामस्वरूप 2022-23 में गरीबी दर 5.3 प्रतिशत होगी।
5.4 करोड़ लोग 3 डॉलर से कम पर जीवन यापन कर रहे
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2024 में 54,695,832 लोग तीन डॉलर प्रतिदिन से कम पर जीवन यापन कर रहे थे। इस प्रकार तीन डॉलर प्रतिदिन (2021 पीपीपी - प्रतिशत जनसंख्या) पर गरीबी दर 2024 में 5.44 प्रतिशत है। विश्व बैंक ने कहा है कि 2011-12 और 2022-23 के बीच अत्यधिक गरीबी की दर 16.2 प्रतिशत से घटकर 2.3 प्रतिशत हो गयी जबकि निम्न मध्यम आय वाले देश (एलएमआईसी) में गरीबी दर में 33.7 प्रतिशत अंकों की गिरावट आयी।
बढ़ते व्यापार तनाव से भारत के निर्यात की मांग कम होगी
अर्थव्यवस्था के संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 तक भारत की वास्तविक जीडीपी महामारी-पूर्व प्रवृत्ति स्तर से लगभग पांच प्रतिशत कम थी। मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं को व्यवस्थित तरीके से हल किए जाने की स्थिति में 2027-28 तक वृद्धि धीरे-धीरे संभावित स्तर पर वापस आ जायेगी। हालांकि परिदृश्य में महत्वपूर्ण नकारात्मक जोखिम हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर नीतिगत बदलाव जारी रह सकते हैं। बढ़ते व्यापार तनाव से भारत के निर्यात की मांग कम होगी और निवेश में सुधार में और देरी होगी।
एक दशक में 17.1 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर निकले
चालू खाता घाटा 2026-28 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के औसतन 1.2 प्रतिशत के आसपास रहने की उम्मीद है और पूंजी प्रवाह द्वारा पर्याप्त रूप से वित्तपोषित रहेगा। साथ ही, विदेशी मुद्रा भंडार सकल घरेलू उत्पाद के 16 प्रतिशत के आसपास स्थिर रहने का अनुमान है। विश्व बैंक ने कहा कि भारत ने 2011-12 और 2022-23 के बीच के दशक में 17.1 करोड़ लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला है।