नई दिल्लीः जमीयतुल उलमा के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के ‘‘जुल्म हुआ तो जिहाद होगा’’ वाले बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में खासा तनाव पैदा कर दिया है। इस बयान को लेकर कई लोगों ने मदनी की आलोचना की है। सोशल मीडिया पर मदनी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मदनी के ‘‘जुल्म हुआ तो जिहाद होगा’’ वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उनका (मदनी) बयान समाज को बांटने, देश को भ्रमित करने और मुसलमानों को भड़काने वाला है।
बरेलवी ने कहा कि ‘‘उच्चतम न्यायालय ही नहीं बल्कि सभी अदालतों पर मुसलमानों का भरोसा है। संसद जनता के हितों के लिए काम करती है और हमें भरोसा है कि कोई भी सरकार जनता के हितों के खिलाफ काम नहीं करती, हर सरकार संविधान के दायरे में रहकर जनता के जन कल्याण के लिए काम करती है।’’
कौन हैं मौलाना मदनी?
मौलाना महमूद मदनी जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष हैं। उनका जन्म वर्ष 1964 में हुआ था। मदनी को एक प्रतिष्ठित इस्लामी विद्वान होने के साथ-साथ एक प्रभावशाली धर्मगुरु भी कहा जाता है। वे राजनीतिक-सामाजिक स्तर पर भी काफी सक्रिय रहे हैं। उनका परिवार मुस्लिम समाज में सुदारवादी विचारों और धार्मिक नेतृत्व के लिए जाना जाता है। मदनी के दादा, हुसैन अहमद मदनी, भारत के प्रमुख इस्लीमा विद्वानों में से एक थे।
‘वर्चस्व’ को स्थापित करने के लिए ‘‘संगठित प्रयास’
गौरतलब है कि भोपाल में जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने शनिवार को आरोप लगाया कि देश में एक समूह के ‘वर्चस्व’ को स्थापित करने के लिए ‘‘संगठित प्रयास’’ किए जा रहे हैं, जिनमें बुलडोजर कार्रवाई, भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करना और वक्फ को कमजोर करना शामिल है।
जमीयत (एमएम) की कार्यकारिणी बैठक में मदनी ने कहा कि बाबरी मस्जिद फैसले और ऐसे कई दूसरे फैसलों के बाद यह बात जोर पकड़ रही है कि अदालतें सरकारों के दबाव में काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर उच्चतम न्यायालय अपना कर्तव्य नहीं निभाता है तो वह उच्चतम कहलाने का हकदार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘वक्फ हमारे पुरखों की विरासत है। हम इसे ऐसे जाते हुए नहीं देख सकते।’’ मदनी ने आरोप लगाया, ‘‘लेकिन नए कानून से सरकार ने कामकाज और आदर्शों को नुकसान पहुंचाया है।’’
जिहाद को बताया पवित्र कर्तव्य
मौलाना महमूद मदनी ने ये भी कहा था कि इस्लाम के दुश्मनों ने 'जिहाद' शब्द को बदनाम किया है। लव-जिहाद, लैंड-जिहाद और थूक-जिहाद जैसे शब्दों को मुसलमानों की तौहीन करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि जिहाद केवल हिंसा नहीं है यह पवित्र कर्तव्य है। जहां अन्याय हो, जिहाद होना चाहिए। जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा।
हम लड़ेंगे और आखिरी सांस तक लड़ेंगे
जमीयत प्रमुख ने कहा, ‘‘जमीयत ने संयुक्त संसदीय समिति में इसका विरोध किया था। हम यह साफ करना चाहते हैं कि सरकारों को हमारे धार्मिक कामों में दखल नहीं देना चाहिए। हम लड़ेंगे और आखिरी सांस तक लड़ेंगे।’’
मदनी के बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा, ‘‘भारत के करोड़ों मुसलमान उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसलों का सम्मान करते हैं।’’
मदनी मुसलमानों को उकसा रहेः बरेलवी
बरेलवी ने आरोप लगाया, ‘‘मौलाना मदनी देश के मुसलमानों को उकसा रहे हैं। इस वक्त भारत में अमन व शांति है, वे इस शांति के वातावरण को खराब करना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं मौलाना मदनी के बयान की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं और भारत के मुसलमानों से अपील करता हूं कि इस तरह के उल जलूल बयानों से अपने आप को बचाएं तथा विवादित बयानों और समाज को तोड़ने वाले बयानों पर ध्यान न दें।’’
ये भी पढ़ेंः बंगाल के साथ बाकी भारत में प्रजनन दर में गिरावट, जानिये 2080 तक देश की कितनी होगी आबादी