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Virender Sehwag-Aarti Divorce: क्या होता है ग्रे डिवोर्स? जिसके तहत अलग होंगे वीरेंद्र सहवाग-आरती

वीरेंद्र सहवाग और आरती का ग्रे डिवोर्स: जानिए इसके पीछे के कारण

कोलकाता: क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और उनकी पत्नी धनश्री की तलाक की अफवाह की खबरें थमी भी नहीं है। इस बीच क्रिकेट जगत के विस्फोटक बल्लेबाज रहे वीरेंद्र सहवाग और उनकी पत्नी आरती अहलावत एक दूसरे से तलाक लेने वाले हैं, इसकी चर्चाएं जोर पकड़ने लगी है। हालांकि, उन दोनों ने अपने रिश्ते को लेकर अब तक कोई भी ऑफिशियल स्टेटमेंट नहीं दिया है।

46 साल के वीरेंद्र सहवाग ने साल 2004 में आरती से लव-मैरिज की थी। उनके दो बेटे आर्यवीर और वेदांत हैं। जो क्रिकेट के खेल में ही अपना करियर बना रहे हैं। कई मीडिया रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि उम्र के इस पड़ाव में आकर दोनों अलग होने जा रहे हैं। इस बीच ऐसी चर्चाएं भी जोर पकड़ रही हैं कि वीरेंद्र सहवाग और आरती के बीच ग्रे-डिवोर्स हो सकता है।

इस तरह के डिवोर्स पहले साउथ के सुपरस्‍टार कमल हसन और सरिका ठाकुर, बॉलीवुड अभिनेता अरबाज खान-मलाइका अरोड़ा व आमिर खान, कबीर बेदी, आशीष विद्यार्थी जैसे कई लोग ले चुके हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये ग्रे-डिवोर्स क्या है?

क्या है ग्रे-डिवोर्स?

ग्रे-डिवोर्स को सिल्वर स्प्लिटर्स या फिर डायमंड तलाक भी कहा जाता है। इसमें पति और पत्नी करीब 50 या उससे अधिक की उम्र तक शादीशुदा जिंदगी जीते हैं और उसके बाद दोनों अलग होने का फैसला करते हैं। यानि, ऐसे मामलों में पति और पत्नी तकरीबन 15 से 25 साल तक साथ में जिंदगी गुजारने के बाद अलग हो जाते हैं। इसको ही ग्रे-डिवोर्स कहते हैं। ग्रे-डिवोर्स का मतलब उस तलाक से भी है जो बाल पकने की उम्र में लिया जाता है।

क्या कहते हैं आंकड़ें?

अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में, तलाक लेने वाले लगभग 40% लोग 50 या उससे अधिक उम्र के हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार 1990 के बाद से ग्रे-डिवोर्स की दर दोगुनी हो गई है। जबकि 65 साल से अधिक उम्र वालों के लिए, तलाक की दर तीन गुनी हो गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में 34% ग्रे डिवोर्स में ऐसे जोड़े शामिल हैं जो कम से कम 30 वर्षों तक एक-दूसरे के साथ रह चुके हैं। जबकि 12% ऐसे जोड़े शामिल हैं जो 40 वर्ष या उससे अधिक समय से विवाहित हैं। वैसे तो किसी भी उम्र में तलाक भावनात्मक और वित्तीय नुकसान का कारण बनता है।

भारत के नजरिए से...

वैसे भारतीय परिपेक्ष्य में ग्रे-डिवोर्स के लिए पहले कोई जगह नहीं थी। हालांकि, आज के दौर में महिलाओं के आर्थिक रूप से इंडिपेंडेंट होने के कारण इसका चलन बढ़ने लगा है। वैसे ये गलत हैं या सही, इसका फैसला हम नहीं कर सकते हैं लेकिन यह ग्रे-डिवोर्स उन्‍हें रोज-रोज के झगड़ों से दूर रहते हुए व्यक्तिगत खुशी और संतुष्टि के आधार पर शादी से बाहर निकलने में मदद करती है।

ग्रे-डिवोर्स से जुड़ी कानूनी दिक्‍कतें

ग्रे डिवोर्स के कानूनी दिक्कतों को समझें तो पाते हैं कि अक्‍सर लोग 40 से 50 की उम्र में आकर पति-पत्नी अलग हो जाते हैं। ऐसे में दोनों ने मिलकर करीब दो दशक साथ मिलकर काफी संपत्ति जोड़ ली होती है। तलाक के दौरान पेचिंदियां ये होती है कि उस संपत्ति का विभाजन किस रूप में किया जाए। इसके अलावा गुजारा भत्ता और रिटायरमेंट बेनिफिट जैसे पहलुओं पर भी कोर्ट को गहरा मंथन करना होता है ताकि पति या पत्नी किसी को ज्यादा बोझ न पड़े। कानूनी तौर पर तो भारत में तलाक हिन्‍दू मैरिज एक्‍ट 1954 के तहत कोर्ट में होते हैं। ग्रे-डिवोर्स के मामलों में कोर्ट गुजारा भत्ता निर्धारित करते समय शादी की अवधि, पति-पत्नी की उम्र और स्वास्थ्य और उनकी वित्तीय स्थिति जैसे कारणों पर खास विचार करती है।

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