कोलकाता : नकली दवाओं का स्रोत आखिर कहां है? इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश में पश्चिम बंगाल ड्रग्स कंट्रोल के समक्ष और भी बड़े रहस्य सामने आए हैं। पूरे देश में एक संगठित गिरोह सक्रिय है, जो मकड़ी के जाल की तरह फैला हुआ है। जांच के दौरान सामने आया कि बिहार के एक किसान के जीएसटी नंबर का उपयोग करके एक बड़ी दवा विपणन कंपनी पश्चिम बंगाल में कारोबार कर रही थी! यानी, जीएसटी नंबर फर्जी था, मालिक अलग और व्यापार अलग। बागड़ी मार्केट में छापेमारी के दौरान ड्रग्स कंट्रोल को जानकारी मिली कि पिछले कुछ वर्षों में इस एक ही जीएसटी नंबर के जरिए करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ। बागड़ी मार्केट में ऐसे कई फर्जी जीएसटी गिरोह पकड़े गए हैं, जिनके तार बिहार, गुजरात और आंध्र प्रदेश से जुड़े हुए हैं। स्वास्थ्य भवन सूत्रों के मुताबिक, वित्त विभाग ने विभिन्न राज्यों और केंद्रीय वित्त एवं स्वास्थ्य मंत्रालय को इस पूरे मामले से अवगत करा दिया है।
ड्रग्स कंट्रोल विभाग के सूत्रों के अनुसार नकली दवाओं का सुराग ढूंढते हुए मंगलवार तड़के हरियाणा के सोनीपत के खरखौदा में एक नकली दवा फैक्ट्री पर छापा मारा गया था। हावड़ा के आमता में दवा घोटाले की जांच के दौरान पता चला कि बिहार के पटना और उत्तर प्रदेश से दवाएं खरीदने के लिए फर्जी जीएसटी नंबर का उपयोग किया गया। पैसों के लेन-देन के लिए बिहार के गया निवासी के बैंक खाते को किराये पर लिया गया था। बिहार ड्रग्स कंट्रोल ने उस व्यक्ति का नाम और बैंक खाता संबंधित दस्तावेज पश्चिम बंगाल ड्रग्स कंट्रोल विभाग को सौंप दिए हैं। ड्रग्स कंट्रोल विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बंगाल में नकली दवाओं की जांच के दौरान पुडुचेरी में भी नकली दवा फैक्ट्री का सुराग मिला है। राज्य ड्रग्स कंट्रोल ने इस जानकारी को तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल को सौंप दिया है। हरियाणा ड्रग्स कंट्रोल अधिकारियों ने वहां से नामी कंपनियों की नकली टैबलेट और कैप्सूल जब्त किए हैं। इसके अलावा, दो दवा पैकेजिंग मशीनें, एक कंप्रेसर मशीन, ऑटोमैटिक कैप्सूल निर्माण मशीन, दवाओं की प्रिंटिंग मशीन और स्कैनर भी बरामद किये गये हैं। नकली जीवनरक्षक दवाओं की सप्लाई का एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय है। इस मामले में पुलिस ने योगेश कुमार नामक एक व्यापारी को गिरफ्तार किया है।