नयी दिल्ली : पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे (सेवानिवृत्त) ने गुरुवार को कहा कि आधुनिकीकरण के लिए तेज गति से काम करने की जरूरत होती है जबकि स्वदेशीकरण में समय लगेगा, अत: इस विरोधाभास के बीच संतुलन बैठाना अहम है।
जनरल पांडे ने यहां मानेकशॉ सेंटर में आयोजित ‘द वीक डिफेंस कॉन्क्लेव’ में विशेष संबोधन में इस बात पर भी जोर दिया कि रक्षा के क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अब धीरे-धीरे कदम उठाने के बजाय तेजी से आगे बढ़ने का समय आ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सेनाओं में अग्निपथ योजना के रूप में मानव संसाधन प्रबंधन में एक ‘अग्रणी सुधार’ लागू किया गया है। पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि इसे बनाने, नियोजन और क्रियान्वयन में व्यापक अंतरमंत्रालयी और अंतरविभागीय परामर्श तथा अत्यंत जटिल प्रकृति के समन्वय की आवश्यकता थी। मेरा मानना है कि इस योजना को और अधिक सुदृढ़ और परिष्कृत बनाने के लिए यह प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।
जनरल पांडे ने 29वें सेना प्रमुख (सीओएएस) के रूप में सेवाएं दी हैं, वे जून 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे। उनके नेतृत्व में वर्ष 2024 को भारतीय सेना के लिए ‘इयर ऑफ टेक्नोनॉजी एब्जॉर्शन’ घोषित किया गया था। उन्होंने कहा कि हमें यह समझने की जरूरत है कि रक्षा बल देश में एक बड़े रक्षा और सुरक्षा तंत्र का हिस्सा हैं इसलिए यदि सुधारों का उद्देश्य रक्षा क्षमताओं, परिचालन तत्परता के स्तर को बढ़ाना, युद्ध और कार्यात्मक दक्षता में सुधार करना है तो केवल व्यक्तिगत सेवा या विभाग से संबंधित सुधार ही महत्वपूर्ण नहीं होंगे। पूर्व वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल वी आर चौधरी (सेवानिवृत्त) ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष और उसमें ड्रोन के इस्तेमाल के बारे में बात की। एजेंसियां