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चुनाव आयोग के प्रस्ताव पर राज्य सरकार में मंथन शुरू

इसी सप्ताह आ सकता है अंतिम निर्णय

कोलकाता: मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के दफ्तर को पूर्णतः स्वायत्त करने के राष्ट्रीय चुनाव आयोग के प्रस्ताव को लेकर राज्य सचिवालय नवान्न में हलचल तेज है। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति में हाल ही में मुख्य सचिव डॉ. मनोज पंत, गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती और वित्त सचिव प्रभात मिश्रा की प्रारंभिक बैठक हुई है। इसके अलावा इस संवेदनशील मुद्दे पर राज्य सरकार विधि विशेषज्ञों और संविधान विदों की भी राय ले रही है। राज्य विधिक प्रकोष्ठ ने इस समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सूत्रों का कहना है कि इसी सप्ताह इस मुद्दे पर राज्य सरकार अंतिम निर्णय ले सकती है।

सीईओ दफ्तर की वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता की मांग की गई

दरअसल, बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर चल रहे स्पेशल इनटेंसिव रिवीजन के बीच चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार को एक नयी चिट्ठी भेजी है, जिसमें सीईओ दफ्तर की वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता की मांग की गई है। चिट्ठी में उल्लेख है कि मौजूदा व्यवस्था में सीईओ कार्यालय राज्य के गृह विभाग के अधीन है, जिससे उसके काम प्रभावित हो रहे हैं। चुनाव आयोग ने सुझाव दिया है कि सीईओ कार्यालय को एक स्वतंत्र संस्था के रूप में स्थापित किया जाए ताकि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो। हालांकि विशेषज्ञों का एक वर्ग मानता है कि राज्य सरकार चुनाव आयोग के सभी सुझावों को सहजता से स्वीकार करेगी, यह कहना जल्दबाजी होगा। इस पूरे घटनाक्रम पर बंगाल के सियासी हलकों में चर्चा तेज हो गई है और सबकी निगाहें अब राज्य सरकार के संभावित निर्णय पर टिक गयी हैं।

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