Flood in Bengal 
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बाढ़ को नियंत्रित करने की कवायद में जुटी राज्य सरकार

प्रशासनिक समन्वय व त्वरित संचार पर दिया जोर

कोलकाता: आने वाले बारिश के मौसम के मद्देनजर राज्य सरकार बंगाल में संभावित बाढ़ जैसी स्थिति को रोकने की कवायद में जुट गयी है। सरकार ने इसके लिए पूरे प्रशासन में अच्छे समन्वय और त्वरित संचार पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया है। इस संबंध में राज्य सचिवालय नवान्न में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में मुख्य सचिव डॉ. मनोज पंत ने निर्देश दिये हैं कि मानसून के दौरान आपदाओं को रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार के प्रत्येक विभाग के बीच अधिक समन्वय की आवश्यकता है ताकि आपदा प्रबंधन के अलावा बचाव और राहत पर भी विशेष ध्यान दिया जा सके।

सिंचाई विभाग करेगा डीवीसी के साथ समन्वय स्थापित

शुक्रवार को मुख्य सचिव पंत ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर समग्र स्थिति और आपदा से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की। नवान्न सूत्रों के अनुसार बैठक में सिंचाई विभाग को डीवीसी के साथ समन्वय स्थापित करने को कहा गया। मानसून के दौरान बार-बार शिकायतें आती रही हैं कि राज्य को सूचित किये बिना डीवीसी से पानी छोड़ दिया जाता है। परिणामस्वरूप, सार्वजनिक जीवन में अतिरिक्त आपदाएँ आती हैं। इस बार ऐसा होने से रोकने के लिए हमें पहले से ही सावधानी बरतनी होगी। मौसम विभाग के अधिकारियों ने आज एक बैठक में कहा कि मानसून अपने सामान्य समय पर ही राज्य में प्रवेश करेगा। मुख्य सचिव ने इसके मद्देनजर सिंचाई विभाग को मानसून आने से पहले बांधों की मरम्मत का काम तत्काल पूरा करने के निर्देश दिये। साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि बोरो की खेती में पानी की कमी न हो।

पर्याप्त राहत सामग्री स्टॉक में रखने को निर्देश

इस दिन बैठक में बीएसएफ, सेना, नौसेना, तट रक्षक, मौसम कार्यालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रतिनिधि उपस्थित थे। जिला मजिस्ट्रेट वर्चुअल माध्यम से बैठक में शामिल हुए। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को पर्याप्त राहत सामग्री स्टॉक में रखने को कहा। इसके अलावा, आश्रय शिविरों का दौरा कर वहां आवश्यक व्यवस्थाएं करने का भी निर्देश दिया। मत्स्य विभाग को सूचित किया गया है कि आपदा आने से पहले मछुआरों को वापस तट पर लाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। बरसात के मौसम में यदि कोई नाव खतरे में हो तो उसका स्थान शीघ्रता से ढूंढ़कर बचाव की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

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