कोलकाता: महानगर का कॉलेज स्ट्रीट, जिसे प्यार से ‘बोइपाड़ा’ कहा जाता है, बंगाल ही नहीं, पूरे भारत के लिए एक सांस्कृतिक और शैक्षणिक धरोहर है। लेकिन हाल की मूसलधार बारिश और गंभीर जलजमाव ने इस ऐतिहासिक इलाके को बुरी तरह प्रभावित किया है।
कॉलेज स्ट्रीट देश का सबसे बड़ा ओपन-एयर बुक मार्केट माना जाता है, जहां स्कूली किताबों से लेकर दुर्लभ साहित्यिक कृतियों तक, हर तरह की पुस्तकें मिलती हैं। इस बारिश ने सिर्फ व्यापारियों की कमाई पर नहीं, बल्कि विद्यार्थियों, शोधार्थियों और पुस्तकप्रेमियों की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है।
भारी बारिश के कारण कई दुकानों और गोदामों में पानी घुस गया, जिससे हजारों किताबें खराब हो गईं। अनुमान है कि इस आपदा में करोड़ों रुपये मूल्य की किताबें नष्ट हो चुकी हैं। थोक और खुदरा दोनों तरह के पुस्तक विक्रेता इस आपदा से हताश हैं। 'प्लेटफॉर्म' प्रकाशन के कर्ता तन्मय कोले ने कहा, मेरे लिए इस साल का त्योहार खत्म हो गया। सौ से ज्यादा किताबें पानी में भीगकर खराब हो गईं। समझ नहीं आ रहा कि इस नुकसान से कैसे उबरेंगे।
शीर्ष प्रकाशनों में से एक ‘प्रतिक्षण’ की ओर से कहा गया, हर बार प्राकृतिक आपदा के समय बोइपाड़ा पूरी तरह अचंभित रह जाता है। सबसे ज़्यादा नुकसान उन दुकानों को होता है जो गलियों या फुटपाथों पर हैं— छोटे प्रकाशक, विक्रेता, मुद्रक और बाइंडिंग करने वाले। क्या एक आधुनिक पेशा हमेशा किस्मत के भरोसे चल सकता है?
दुर्भाग्यवश, इस बार यह तबाही ऐसे समय आई है जब त्योहारी सीज़न के लिए स्टॉक तैयार किया गया था। किताबों के साथ-साथ कपड़े और अन्य स्टॉल्स भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ‘धानसिरी’ प्रकाशन के शुभ्र बंद्योपाध्याय ने कहा, अगर पहले से मौसम की सटीक जानकारी होती, तो कुछ तैयारी की जा सकती थी। इस बार तो साथियों की मदद करने का भी समय नहीं मिला।
यह आपदा सिर्फ एक आर्थिक झटका नहीं है, बल्कि कोलकाता की सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत को भी बड़ा नुकसान पहुँचा रही है। अब पुस्तक व्यवसायी सरकार और समाज से राहत की उम्मीद कर रहे हैं।