नई दिल्ली - जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद देशभर में गुस्सा और रोष फैल गया है। यह हमला वहां लंबे समय से सक्रिय आतंकी नेटवर्क को उजागर करता है।
लश्कर से जुड़े समूह ने किया पहलगाम में हमला
2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में यह हमला सबसे खतरनाक माना जा रहा है। इस हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कूटनीतिक और सुरक्षा कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। यह हमला प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक कट्टरपंथी गुट ने अंजाम दिया है, जिसमें अधिकतर विदेशी आतंकी शामिल हैं। इन आतंकियों को स्थानीय आतंकवादियों और घाटी में सक्रिय ओवरग्राउंड वर्करों का सहयोग मिला हुआ है। माना जा रहा है कि यह समूह 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड और लश्कर प्रमुख हाफिज सईद के नियंत्रण में काम करता है।
किन-किन हमलों के पीछे है यह मॉड्यूल ?
सूत्रों के मुताबिक, यह खास आतंकी मॉड्यूल कश्मीर घाटी में काफी समय से सक्रिय है और सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि यह सोनमर्ग, बूटा पथरी और गंदेरबल जैसे इलाकों में कई बड़े हमलों में शामिल रहा है। 2024 में बूटा पथरी में हुए एक आतंकी हमले में दो भारतीय सैनिकों समेत चार लोगों की जान गई थी। उसी महीने सोनमर्ग में सुरंग निर्माण में लगे मजदूरों पर भी एक जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें छह मजदूरों और एक डॉक्टर को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया था।
मुठभेड़ में मारा गया था जुनैद अहमद भट्ट
सोनमर्ग हमले के बाद, इस आतंकी मॉड्यूल का एक अहम सदस्य जुनैद अहमद भट्ट, जो कुलगाम का रहने वाला और लश्कर का A+ कैटेगरी का आतंकवादी था, दिसंबर 2024 में एक मुठभेड़ में मारा गया। हालांकि, इस गिरोह के बाकी आतंकी फरार हो गए और पास के जंगलों में जाकर छिप गए। ऐसा माना जा रहा है कि इस मॉड्यूल का संचालन लश्कर प्रमुख हाफिज सईद और उसके डिप्टी सैफुल्लाह द्वारा किया जा रहा है, जो फिलहाल पाकिस्तान से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि इस मॉड्यूल को वैचारिक समर्थन के साथ-साथ पाकिस्तान की सेना, उसकी खुफिया एजेंसी और ISI से भी पूरा सहयोग मिल रहा है।