सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : वाइस एडमिरल अजय कोचर ने बुधवार को अंडमान और निकोबार कमान के 19वें कमांडर-इन-चीफ के रूप में कार्यभार संभाल लिया। अंडमान और निकोबार कमान भारत का पहला और एकमात्र संयुक्त सेवा परिचालन कमान है, जिसमें थलसेना, नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल शामिल हैं। इसका मुख्य दायित्व हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा करना है। वाइस एडमिरल कोचर को 1 जुलाई 1988 को भारतीय नौसेना में कमीशन मिला था। वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़गवासला, डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन, नेवल वॉर कॉलेज मुंबई और रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज (यूके) के पूर्व छात्र हैं। वे गनरी और मिसाइल विशेषज्ञ हैं। 37 वर्षों से अधिक के करियर में उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी बेड़ों के युद्धपोतों पर व्यापक रूप से सेवा दी है। उन्होंने आईएनएस डिस्ट्रॉयर, विभूति और कृपाण की कमान संभाली और रूस में निर्मित फ्रिगेट त्रिकंड को कमीशन किया। वे विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य के तीसरे कमांडिंग ऑफिसर भी रहे, जिसके दौरान इसके एयर विंग का सफल संचालन हुआ।
नौसेना मुख्यालय में उन्होंने बजटिंग और हथियार खरीद जैसे अहम कार्यों का नेतृत्व किया। 2018 में फ्लैग रैंक पर पदोन्नत होने के बाद उन्हें ‘असिस्टेंट कंट्रोलर ऑफ कैरियर प्रोजेक्ट्स’ और ‘असिस्टेंट कंट्रोलर ऑफ वॉरशिप प्रोडक्शन एंड एक्विजिशन’ नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने नौसेना की क्षमता वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 2021 में वे पश्चिमी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग रहे और कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में समुद्री क्षेत्र में भारत के हितों की रक्षा की। 2022 में उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के कमांडेंट के रूप में महिला कैडेटों के पहले बैच को शामिल कराने और प्रशिक्षण स्तर को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। मई 2024 में उन्होंने पश्चिमी नौसैनिक कमान के चीफ ऑफ स्टाफ का कार्यभार संभाला और इस दौरान इजराइल-हमास संघर्ष और खाड़ी क्षेत्र में बढ़ती समुद्री डकैती की चुनौतियों का सफल प्रबंधन किया। वाइस एडमिरल कोचर को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए अति विशिष्ट सेवा मेडल और नौसेना मेडल से सम्मानित किया गया है। कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने कहा कि अंडमान और निकोबार कमान हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि वे एएनसी की परिचालन क्षमता और सभी सेनाओं के बीच तालमेल को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।