कानपुर - कानपुर मेट्रो परियोजना के चार भूमिगत स्टेशनों के निर्माण से जुड़ी तुर्की की कंपनी गुलेरमक के अचानक शहर छोड़ देने से स्थानीय ठेकेदारों को भारी झटका लगा है। कंपनी पर लगभग 80 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान न करने का आरोप है, जो 40 ठेकेदारों की देनदारी है। ठेकेदारों का कहना है कि उन्हें पिछले दस महीनों से कोई भुगतान नहीं मिला है। गुलेरमक सैम इंडिया की इस अचानक वापसी से स्थानीय प्रशासन और ठेकेदारों के बीच अफरा-तफरी मच गई है। कुछ ठेकेदारों का यह भी आरोप है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान तुर्की के कथित रुख के खिलाफ देशभर में हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते कंपनी ने जानबूझकर भुगतान रोक दिया।
क्या है पूरा मामला ?
ठेकेदारों का कहना है कि तुर्की की कंपनी गुलेरमैक के सभी वरिष्ठ अधिकारी अचानक शहर छोड़कर चले गए हैं और अब उनसे फोन पर संपर्क करने पर भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा है। अधिकारियों की तरफ से सिर्फ घुमा-फिराकर बातें की जा रही हैं। ठेकेदारों ने इस स्थिति की शिकायत उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (UPMRC) के अधिकारियों से की, लेकिन वहां से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद नौ ठेकेदारों ने जिला मजिस्ट्रेट (DM) कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज कर त्वरित हस्तक्षेप की मांग की। ठेकेदारों ने अपने लंबित भुगतान का ब्यौरा भी साझा किया है, जिसमें मेट्रो मार्बल के 3.70 करोड़, रेडिएंट सर्विसेज के 1.20 करोड़, श्रेयांस इन्फ्राटेक के 1.70 करोड़, एस इंटीरियर के 74.80 लाख, एमडी एहसान पेंटर के 39.80 लाख, विनोद गुप्ता एंटरप्राइजेज के 8.54 लाख, नंदन प्रीफैब के 29.50 लाख और श्री बालाजी एंटरप्राइजेज के 21.50 लाख रुपये बकाया हैं।
ठेकेदारों का कहना है कि कंपनी ने कई बार भुगतान का वादा किया लेकिन कभी उसे निभाया नहीं। इस मामले में यूपीएमआरसी के जनसंपर्क विभाग के संयुक्त महाप्रबंधक पंचानन मिश्रा ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि गुलेरमैक ने कॉरिडोर-1 के चार भूमिगत स्टेशनों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है और इसके बदले में मेट्रो प्राधिकरण ने कंपनी को पूरा भुगतान कर दिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिकायत करने वाले ठेकेदार गुलेरमैक के सब-कॉन्ट्रैक्टर्स हैं। समझौते के अनुसार, यूपीएमआरसी ने 5 प्रतिशत राशि रिजर्व रखी है, जो एक साल बाद दी जाएगी। अगर गुलेरमैक इन ठेकेदारों को भुगतान नहीं करती है, तो मेट्रो प्राधिकरण उस रिजर्व फंड से ठेकेदारों को भुगतान करने के लिए बाध्य होगा।
प्रशासन ने ठेकेदारों को जांच का भरोसा दिया
यह घटना कानपुर मेट्रो परियोजना में आर्थिक गड़बड़ियों और प्रबंधन की कमजोरियों को उजागर करती है। ठेकेदारों ने जिला प्रशासन से हस्तक्षेप करते हुए अपने बकाया भुगतान की वसूली के लिए तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है। इस मामले ने स्थानीय ठेकेदारों और मजदूरों के बीच भारी असंतोष और नाराजगी पैदा कर दी है, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रशासन की ओर से मामले की जांच शुरू करने का आश्वासन दिया गया है।