मेटबॉट एक मरीज का ब्लड प्रेशर जांच करते हुए  
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कोलकाता के दो वैज्ञानिकों ने बनाया AI मेडिकल रोबोट ‘मेडबॉट’

अस्पतालों में इसका पायलट परीक्षण शुरू करने की है योजना

निधि, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता: कोलकाता ने तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां भारत का पहला AI-संचालित मेडिकल रोबोट ‘मेडबॉट (MedBot)’ विकसित किया गया है, जो मरीजों में गंभीर बीमारियों के लक्षण और इससे पहले ही क्रॉनिक बीमारियों की जानकारी देने में सक्षम है। इस अत्याधुनिक मेडिकल रोबोट को डॉ. अम्बरीष पॉल और डॉ. तानिया मुखर्जी ने विकसित किया है। दोनों ने ही आईआईटी खड़गपुर से अपनी डॉक्टरेट डिग्री प्राप्त की है, लेकिन वर्तमान में वे वहां से संबद्ध नहीं हैं और कोलकाता में कार्यरत हैं। यह कार्य उनके स्टार्टअप स्पेसिसिफ़ोर इनोवेशन एलएलपी द्वारा किया गया है। इस प्रोजेक्ट को iHub दिव्यसंपर्क , IIT रुड़की से फंडिंग मिली है। हालांकि फिलहाल मेडबॉट प्रोटोटाइप चरण में है, लेकिन शोधकर्ता जल्द ही निजी अस्पतालों में इसका पायलट परीक्षण शुरू करने की योजना बना रहे हैं। डॉ. तानिया मुखर्जी ने बताया कि मेडबॉट को खास तौर पर अस्पतालों में बढ़ते कार्यभार को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह रोबोट पूरी तरह स्वचालित तरीके से मरीजों के ब्लड प्रेशर, ब्लड ग्लूकोज, ऑक्सीजन सैचुरेशन, हार्ट रेट और बॉडी टेम्परेचर की सटीक जाँच करता है और इन आंकड़ों को सुरक्षित रूप से इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड (EHR) में भेज देता है।

AI तकनीक से पहले ही पहचान लेता है बीमारियां

मेडबॉट में लगा मशीन लर्निंग सिस्टम मरीजों के डेटा का विश्लेषण कर लक्षण दिखने से पहले ही क्रॉनिक बीमारियों के शुरुआती संकेत पहचान सकता है। इससे डॉक्टर समय रहते इलाज शुरू कर सकते हैं और मरीज की रिकवरी पर लगातार नज़र रख सकते हैं। इस रोबोट में दोनों तरफ 7 डिग्री ऑफ फ्रीडम वाली रोबोटिक आर्म्स और ग्रैस्पिंग एंड-इफेक्टर्स लगे हैं, जिससे यह मरीजों से जुड़े कई रूटीन कार्य अपने आप कर सकता है। यह अस्पतालों में काम करने वाले एक मोबाइल नर्सिंग असिस्टेंट की तरह कार्य करता है, जिससे स्वास्थ्यकर्मियों का बोझ कम होता है, थकान घटती है और वे मरीजों की गंभीर देखभाल पर ज़्यादा ध्यान दे पाते हैं। डॉ. अम्बरीष पॉल और डॉ. तानिया मुखर्जी ने कहा कि जल्द शुरू होने वाले पायलट परीक्षण के साथ मेडबॉट को भारत में AI-ड्रिवन हेल्थकेयर के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना जा सकता है। यह तकनीक भविष्य में मरीजों की देखभाल के तरीके को पूरी तरह बदल सकती है।

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