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ट्रंप का ‘वीजा बम’: 88 लाख फीस दो वरना दरवाजे बंद!

24 घंटे में अमेरिका लौटें, एच-1बी वीजा होल्डर : मेटा और माइक्रोसॉफ्ट ने अपने कर्मियों को कहा

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शुक्रवार को अमेरिकी एच-1बी वीजा के लिए फीस को बढ़ाकर एक लाख अमेरिकी डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपये करने का ऐलान ने बड़ी टेक कंपनियों में हड़कंप मच गया है। मेटा और माइक्रोसॉफ्ट ने अपने एच1बी वीजा धारक कर्मचारियों से 24 घंटे के अंदर यानी हर हाल में रविवार (21 सितंबर) से पहले अमेरिका पहुंचने को कहा है क्योंकि इन कर्मचारियों को रविवार से तब तक अमेरिका में प्रवेश लेने से रोक दिया जायेगा, जब तक कि उनकी कंपनी उनके लिए 100,000 अमेरिकी डॉलर की सालाना फीस का भुगतान नहीं कर देती या फिर उनकी नौकरी भी जा सकती है। यही नहीं मेटा और माइक्रोसॉफ्टमेटा ने शनिवार सुबह एक बैठक की और अपने सभी एच1बी वीजा होल्डर से आग्रह किया कि वे कम से कम 14 दिन तक अमेरिका नहीं छोड़ें। ट्रंप के इस फैसले के बाद न केवल अमेरिकी हवाईअड्डों पर अफरा-तफरी मच गयी बल्कि भारत से अमेरिका के लिए फ्लाइट का किराया भी डेढ़-दो गुना बढ़ चुका है।

नये आदेश पर अमल की समय-सीमा तय

यात्रा प्रतिबंध और फीस की जरूरत 21 सितंबर (रविवार) को रात 12:01 बजे (भारतीय समयानुसार सुबह 9:30 बजे) के बाद अमेरिका में दाखिल होने वाले किसी भी एच-1बी धारक पर लागू होगी। आदेश में कहा गया है कि नये एच-1बी और वीजा की मियाद बढ़ाने (एक्सटेंशन) के लिए एक लाख अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना होगा और उसके बाद उसे जारी रखने के लिए हर साल 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना होगा। यह ऐलान गृह सुरक्षा विभाग को व्यक्तिगत विदेशी नागरिकों, किसी विशेष कंपनी में काम करने वाले विदेशी नागरिकों या किसी विशिष्ट उद्योग में काम करने वाले विदेशी नागरिकों के लिए प्रतिबंध में छूट देने की इजाजत देता है बशर्ते एजेंसी के हिसाब से एच-1बी राष्ट्रीय हित में हो और अमेरिकी सुरक्षा या कल्याण के लिए खतरा पैदा नहीं करता हो।

एच-1बी वीजा फीस में 67 गुना वृद्धि!

वीजा के लिए हर साल एक लाख डॉलर की फीस

रिपोर्ट के अनुसार यह प्रतिबंध 12 महीने के लिए वैध रहेगा लेकिन फेडरल एमिग्रेशन एजेंसियों की सिफारिश पर इसे बढ़ाया जा सकता है। विस्तार से उन विदेशी नागरिकों पर प्रतिबंध लागू रहेगा जिनके लिए वित्त वर्ष 2027 के लिए एच-1बी कैप याचिका मंजूर हो चुकी है। ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि वह कंपनियों से एच-1बी वर्किंग वीजा के लिए हर साल 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने को कहेगा, जिसके बाद कुछ बड़ी टेक कंपनियों ने वीजा धारकों को अमेरिका में ही रहने या तुरंत वापस लौटने की चेतावनी दी है। एच-1बी वीजा प्रोग्राम के ‘दुरुपयोग’ को रोकने के लिए इस भारी-भरकम फीस का ऐलान किया है। ट्रंप के नये कार्यकारी आदेश के तहत विदेशी कुशल कर्मचारियों (स्किल्ड प्रोफेशनल्स) को नियुक्त करने वाली कंपनियों को अब हर एच-1बी वीजा के लिए हर साल 100,000 अमेरिकी डॉलर की फीस देनी होगी, जो पहले के 1,500 अमेरिकी डॉलर से काफी ज्यादा है।

मकसद अमेरिकी नागरिकों को नौकरी पर रखना

ट्रम्प का कहना है कि इसका उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों को नौकरी पर रखना है। प्रशासन ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य अमेरिकी कामगारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है और साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि कंपनियों के पास वास्तव में असाधारण लोगों को नौकरी पर रखने और उन्हें अमेरिका लाने का रास्ता हो। कुशल श्रमिकों के लिए वीजा शुल्क 215 डॉलर से बढ़कर 10,000 डॉलर से 20,000 डॉलर प्रति वर्ष हो जायेगा। निवेशक वीजा शुल्क, जो कई यूरोपीय देशों में आम है, 10,000 डॉलर से बढ़कर 20,000 डॉलर प्रति वर्ष हो जायेगा। प्रशासन ने एक गोल्ड कार्ड वीजा कार्यक्रम की घोषणा की है, जिसमें व्यक्तियों के लिए ट्रम्प गोल्ड कार्ड और ट्रम्प प्लैटिनम कार्ड, और व्यवसायों के लिए ट्रम्प कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड शामिल हैं। ये कार्ड विशेष विशेषाधिकार प्रदान करते हैं और रोजगार-आधारित वीजा की जगह लेंगे जो प्रोफेसर्स, विज्ञानिकों, कलाकारों और एथलीटों सहित नागरिकता के रास्ते प्रदान करते हैं।

कर्मचािरयों को निर्देश : हर हाल में 24 घंटे के भीतर अमेरिका पहुंचो

सर्वाधिक 72% एच-1बी वीजा भारतीयों के

अमेरिकी नागरिकता और एमिग्रेशन सर्विस (यूएससीआईएस) के ताजा आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2022 और सितंबर 2023 के बीच जारी किये गये लगभग 4 लाख एच-1बी वीजा में से 72 प्रतिशत भारतीयों के हैं और उसके बाद चीनी नागरिक आते हैं। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि वीजा की अवधि के हर तीन वर्ष के लिए हर साल 100,000 अमेरिकी डॉलर का खर्च आयेगा लेकिन इसके विवरण पर अभी भी विचार किया जा रहा है। न्यूयॉर्क स्थित प्रतिष्ठित एमिग्रेशन वकील साइरस मेहता ने कहा कि भारत में अभी रह रहे एच-1बी धारकों ने शायद डेडलाइन को खो दिया है क्योंकि भारत से कोई सीधी उड़ान समय पर वहां नहीं पहुंच पायेगी। उन्होंने एच-1बी प्रोग्राम की आलोचना करते हुए कहा है कि इस कदम से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा, भारतीय अर्थव्यवस्था को नहीं।

भारतीय प्रोफेशनलों पर बुरा असर

ट्रंप के एच-1बी वीजा पर सख्त फैसले का भारतीय प्रोफेशनलों पर बुरा असर पड़ने वाला है क्योंकि कंपनियों अब सिर्फ बहुत ही जरूरी कर्मचारियों के लिए इतनी मोटी रकम चुकाने को राजी होंगी, ऐसे में कर्मचारियों की छंटनी की अटकलें भी लगायी जा रही हैं। फिलहाल करीब दस लाख भारतीय ऐसे हैं जिन्हें अमेरिका में ग्रीन कार्ड का इंतजार है। साथ ही अमेरिका में करीब 50 लाख भारतीय रहते हैं।

दिल्ली-न्यूयार्क फ्लाइट का किराया आसमान छूने लगा!

हवाई टिकट हुआ महंगा

ट्रंप के इस फैसले के कारण अमेरिकी हवाईअड्डों पर अफरा-तफरी मच गयी। बताया जाता है कि जैसे यह ऐलान हुआ, कई भारतीय तकनीकी विशेषज्ञ विमान से उतर गये। इसके अलावा भारत में फंसे लोगों के लिए अमेरिका जाने वाली सीधी उड़ान की लागत में भारी उछाल आया, क्योंकि एअरलाइंस ट्रंप द्वारा फैलायी गयी अराजकता का फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं। ट्रम्प की घोषणा के दो घंटे के भीतर नयी दिल्ली से न्यूयॉर्क के जॉन एफ कैनेडी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे तक एकतरफा उड़ान का किराया लगभग 37,000 रुपये से बढ़कर 70,000-80,000 रुपये हो गया।

भारत ने जतायी चिंता

भारत ने शनिवार को माना कि अमेरिकी एच-1बी वीजा शुल्क में प्रस्तावित वृद्धि से भारतीय परिवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। भारत ने साथ ही कहा कि वह अमेरिका के इस कदम के असर का आकलन कर रहा है।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने उम्मीद जतायी कि अमेरिकी अधिकारी इन समस्याओं का उचित समाधान निकालेंगे।

संभावित असर का अध्ययन

उन्होंने कहा कि सरकार ने अमेरिकी एच-1बी वीजा कार्यक्रम पर प्रस्तावित प्रतिबंधों से संबंधित रिपोर्ट देखी हैं। इसका पूरा असर क्या होगा, इसका अध्ययन सभी पक्षों द्वारा किया जा रहा है। इसमें भारतीय उद्योग भी शामिल है, जिन्होंने पहले ही एक प्रारंभिक विश्लेषण पेश कर दिया है। जायसवाल ने यह भी जोड़ा कि इस वृद्धि के मानवीय परिणाम हो सकते हैं क्योंकि इससे परिवारों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा आवेदकों पर 100,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) का शुल्क लगाने वाले एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। ट्रंप का कहना है कि यह शुल्क यह सुनिश्चित करेगा कि देश में आने वाले लोग ‘वास्तव में अत्यधिक कुशल’ हों और अमेरिकी कर्मचारियों की जगह न लें। उन्होंने कहा कि हमें कामगारों की जरूरत है। हमें बेहतरीन कामगारों की जरूरत है, और इससे यह सुनिश्चित होगा कि हमें ऐसे ही लोग मिलें।

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