जेसीआई के एमडी अजय कुमार जॉली  
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एनआरएससी-इसरो, एनजेबी व जेसीआई के बीच लागू रहेगा त्रिपक्षीय समझौता

राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र खेती की जमीन का पता लगाने और जूट उत्पादन और उत्पादकता का अनुमान लगाने में जेसीआई की मदद कर रहा है

कोलकाता : जब भी जूट का बाजार भाव केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी से नीचे चला जाता है उस स्थिति में जेसीआई का प्राथमिक कार्य जूट किसानों को एमएसपी सहायता प्रदान करना है। यह कहना है जेसीआई के एमडी अजय कुमार जॉली का। आगे उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र खेती की जमीन का पता लगाने और जूट उत्पादन और उत्पादकता का अनुमान लगाने में जेसीआई का मदद कर रहा है। केंद्र सरकार ने टीडी 3 (मध्यम ग्रेड) के आधार पर एमएसपी दर 5,335 रुपये से बढ़ाकर 5,650.00 रुपये प्रति क्विंटल कर दी है तथा जूट आयुक्त कार्यालय ने फसल वर्ष 2025-26 (जुलाई '25 से जून'26) के लिए किस्मवार ग्रेडवार एमएसपी दरों की घोषणा की है। इसके अलावा कच्चे जूट की गुणवत्ता में सुधार करने तथा जूट की पैदावार बढ़ाने के लिए जेसीआई ने राष्ट्रीय जूट बोर्ड द्वारा वित्तपोषित तथा अग्रणी कृषि अनुसंधान संस्थानों- आईसीएआर-सीआरआईजेएएफ तथा आईसीएआर-एनआईएनएफईटी द्वारा सहायता प्राप्त जूट-आईसीएआरई योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी ली है। इस योजना का उद्देश्य जूट की खेती में किसान-अनुकूल तरीके से मशीनीकरण करना तथा जूट किसानों की आय में सुधार के लिए माइक्रोबियल कंसोर्टियम का उपयोग करके त्वरित रीटिंग करना है। हाल ही में जूट-आईसीएआरई ने अखिल भारतीय आधार पर जूट के खेतों को कवर करने के लिए राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) के सहयोग से भू-स्थानिक फसल निगरानी एवं निगरानी प्रणाली शुरू की है। पिछले वित्तीय वर्ष में इस संबंध में एनआरएससी-इसरो, एनजेबी, जेसीआई के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये थे और यह अब भी लागू है। वास्तव में रिमोट सेंसिंग डेटा पारंपरिक तरीकों की तुलना में कई फायदे प्रदान करता है। अंतरिक्ष डेटा का उपयोग कई महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कि फसल क्षेत्र का अनुमान, फसल की उपज और उत्पादन का अनुमान, फसल की स्थिति, बुनियादी मिट्टी की जानकारी प्राप्त करने में किया जाएगा। एनआरएससी, कपड़ा मंत्रालय, जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (जेसीआईएल) और राष्ट्रीय जूट बोर्ड (एनजेबी) के साथ मिलकर जूट फसल सूचना प्रणाली (जेसीआईएस) विकसित कर रहा है, जो जूट फसलों की निगरानी और प्रबंधन के लिए अंतरिक्ष और जमीन के डेटा का उपयोग कर रहा है। देश में जूट के खेतों को कवर करने के लिए एक भू-स्थानिक फसल निगरानी और निगरानी प्रणाली भी शुरू की जा रही है, जिससे जूट उत्पादन और उत्पादकता का सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा। इसके अलावा, सैटेलाइट-आधारित जूट फसल मानचित्रण जूट फसलों का मानचित्रण करने और अधिक सटीक नमूने के लिए क्षेत्रों की पहचान करने के लिए उपग्रह डेटा का उपयोग करता है। जिला और राष्ट्रीय स्तर पर जूट उत्पादन उपग्रह-आधारित जूट फसल क्षेत्र और सीसीई-आधारित जूट सूखे फाइबर उपज के आधार पर प्रदान किया जाता है। जियो-टैग की गयी जानकारी सहित फील्ड डेटा एकत्र करने के लिए एक मोबाइल ऐप का भी उपयोग किया जाता है, जिसे विश्लेषण और विज़ुअलाइज़ेशन के लिए भुवन जियो-पोर्टल पर होस्ट किया जाता है। इससे फसलों की पैैदावर अधिक होगी और किसानों को आर्थिक लाभ होगा।

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