कोलकाता : अगले साल राज्य में विधानसभा का चुनाव है। तृणमूल ने साफ तौर पर भविष्यवाणी की है कि 2026 के चुनाव में उनके सीटों की संख्या बढ़ेगी। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने टीएमसीपी के स्थापना दिवस कार्यक्रम से कहा कि 2021 विधानसभा में तृणमूल को जितनी सीटें मिली थी उससे अधिक 2026 के चुनाव में मिलेगी। ममता बनर्जी के इस आत्मविश्वास से घोषणा से राजनीतिक कर्मियों से लेकर नेताओं में नयी उर्जा मिली है। चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं में जोश है। ममता ने भाजपा को निशाना साधा और कहा कि बिना लड़ाई एक इंच जगह तृणमूल नहीं छोड़ेगी। तृणमूल कांग्रेस जनता के आशीर्वाद, प्रार्थना और खुशी से बनी है। याद रखिए, अगले चुनाव में आपको और ज़्यादा सीटें मिलेंगी। वजह ये है कि हम जनता का विकास करेंगे, और ज़्यादा करेंगे।
अन्याय से समझौता न करें : ममता
मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी की छात्र शाखा के सदस्यों से किसी भी परिस्थिति में अन्याय से समझौता न करने का आह्वान किया। तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) के स्थापना दिवस पर इसके सदस्यों को बधाई देते हुए तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा कि अन्याय के खिलाफ किसी भी लड़ाई में वे उन्हें हमेशा अपने साथ पाएंगे। तृणमूल छात्र परिषद तृणमूल परिवार का एक अभिन्न अंग है। बंगाल को और भी उन्नत व मजबूत बनाने के लिए हमारे संघर्ष में वे भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, “आज के इस खास दिन पर, मैं अपने युवा साथियों से कहना चाहती हूं, किसी भी परिस्थिति में अन्याय से समझौता न करें। अपना मस्तक ऊंचा करके जिएं। अन्याय के खिलाफ किसी भी लड़ाई में, आप मुझे हमेशा अपने साथ पाएंगे। सभी स्वस्थ रहें।”
कैसे थे प्रधानमंत्री, अपने अनुभवों पर किताब लिखेंगी ममता
मैंने कई प्रधानमंत्रियों को करीब से देखा है। अब, मैं इस बारे में एक किताब लिखूंगी कि कौन वास्तव में कैसा था। इसका विमोचन पुस्तक मेले में किया जाएगा।’ चार दशकों से अधिक के राजनीतिक अनुभव के साथ, बनर्जी भारतीय राजनीति में उन कुछ सक्रिय नेताओं में से हैं, जिन्होंने राजीव गांधी से लेकर मनमोहन सिंह तक कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है, और यहां तक कि कांग्रेस से अलग होने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के तहत भी काम किया। ममता बनर्जी ने कहा, ‘मैं आठ बार केंद्रीय मंत्री रह चुकी हूँ। मैंने रेलवे, कोयला, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय संभाला है...मैं लिखूँगी कि मैंने क्या देखा और कैसे देखा।’ उनकी राजनीतिक डायरी में किस्से-कहानियां, पर्दे के पीछे की अंतर्दृष्टियां और शासन शैलियों पर स्पष्ट विचार शामिल होने की उम्मीद है, जिसके बारे में राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इससे पार्टी लाइन से परे जाकर हलचल मच सकती है।