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बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान पर तृणमूल ने उठाया सवाल

कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस ने बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अभियान से दो अहम प्रश्न खड़ा किये हैं। तृणमूल के अनुसार एसआईआर के दौरान दो गंभीर मुद्दे सामने आए हैं। गुरुवार को तृणमूल ने कहा कि 22 जुलाई को 11,484 मतदाता ऐसे थे जिनका कोई पता नहीं था लेकिन 23 जुलाई को सिर्फ एक दिन में, यह संख्या अचानक बढ़कर 1,00,000 हो गई! तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने सवाल खड़ा किया कि चौबीस घंटे में कैसे नंबर में इतना बदलाव आया? जब मतदाता कवरेज 88.18% था, तब रद्द के लिए चिह्नित मतदाताओं की संख्या 35 लाख थी। अब कवरेज बढ़कर 98.01% हो गया है, लेकिन संख्या बढ़कर 56 लाख हो गई है! यानी नए सिरे से सर्वेक्षण किए गए 77.62 लाख मतदाताओं में से 21 लाख मतदाताओं के नाम रद्दीकरण के लिए चिह्नित किए गए हैं। यह चौंकानेवाला है। तृणमूल ने सवाल किया है कि ये मतदाता कौन हैं जिनके नाम सूची से काटे जा रहे हैं? अचानक रातोंरात इस संख्या में इतना बदलाव कैसे हो गया? क्या यह गुप्त रूप से मताधिकार छीनने की साजिश है? राष्ट्रीय चुनाव आयोग को अब देश की जनता को एक पारदर्शी और आधिकारिक स्पष्टीकरण देना होगा। जब लोकतंत्र की नींव को गुप्त रूप से नष्ट करने की कोशिशें हो रही हों, तो चुप रहना कोई विकल्प नहीं है।

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