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जय हिंद कैंप पहुंचा तृणमूल प्रतिनिधिमंडल

नयी दिल्ली : दिल्ली के वसंत कुंज इलाके स्थित जय हिंद कैंप में बिजली काटे जाने के कुछ दिनों बाद रविवार को तृणमूल कांग्रेस सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल यहां पहुंचा और भाजपा पर कैंप में रह रहे बांग्ला भाषी प्रवासियों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय, सागरिका घोष और साकेत गोखले वाले प्रतिनिधिमंडल ने झुग्गीवासियों से बातचीत की। झुग्गीवासियों ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि पिछले पांच-छह दिनों से उनकी झुग्गियों में बिजली नहीं आ रही है। वसंत कुंज के पॉश इलाके और मसूदपुर शहरी गांव के बीच स्थित इस बस्ती में बांग्ला भाषी प्रवासियों की झुग्गियां हैं और इनमें से ज्यादातर पश्चिम बंगाल के कूच बिहार से हैं। रॉय ने कहा, “यहां के निवासियों के जीवन में अचानक अंधेरा छा गया है। हम इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं।”उन्होंने कहा, “ये सबसे गरीब लोग हैं और इनमें से कई दिहाड़ी मजदूर हैं। जिस तरह से बिजली काटी गयी है, वह बेहद चिंताजनक है।” तृणमूल नेता ने कहा कि वे इस स्थिति पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक रिपोर्ट भेजेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी निवासियों के पक्ष में जागरूकता फैलाने और जनमत तैयार करने के लिए काम करेगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बस्ती की बिजली काटे जाने की घटना से नाराज हैं और उन्होंने हाल ही में भाजपा पर बांग्ला भाषी समुदायों के खिलाफ व्यापक स्तर पर शत्रुता का आरोप लगाया था। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, “यह सिर्फ एक कैंप की बात नहीं है। हमने गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्यप्रदेश में भी ऐसी ही घटनाएं देखी हैं। बांग्ला भाषी नागरिकों को निशाना बनाने का एक चिंताजनक चलन है।” सागरिका घोष ने दावा किया कि भाजपा शासित कई राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासियों को ‘भेदभाव’ का सामना करना पड़ रहा है। घोष ने आरोप लगाया, “ओडिशा, महाराष्ट्र और गुजरात सहित भाजपा शासित हर राज्य में इन प्रवासी मजदूरों पर हमले हो रहे हैं। उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, जबकि वे भारतीय नागरिक हैं।” जय हिंद कैंप के निवासियों ने दावा किया कि कुछ महीने पहले दिल्ली पुलिस ने उनका सत्यापन किया था और उस दौरान उन्हें अपने दस्तावेज दिखाने पड़े थे तथा पश्चिम बंगाल में उनके पते भी सत्यापित किए गए थे। एक निवासी नबी हुसैन ने कहा, “हम बांग्लादेशी या रोहिंग्या नहीं बल्कि भारतीय हैं। यहां एक भी बांग्लादेशी नहीं मिला।” झुग्गीवासियों ने बताया कि आठ जुलाई को बिना किसी पूर्व सूचना के बिजली काट दी गई।


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