नई दिल्ली : दिल्ली के बसंत कुंज इलाके की जय हिंद कॉलोनी में रह रहे बंगाली लोगों को उजाड़ने और उनके साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस ने धरना शुरू कर दिया है। तृणमूल का कहना है कि इन लोगों को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे बंगाली भाषा बोलते हैं। तृणमूल ने साफ कहा है कि वह इस मुद्दे को सिर्फ धरने तक सीमित नहीं रखेगी, बल्कि संसद के मानसून सत्र में भी इसे जोर-शोर से उठाएगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर तृणमूल कांग्रेस के चार राज्यसभा सांसद—सुखेंदु शेखर राय, सागरिका घोष, डोला सेन और साकेत गोखले—सोमवार दोपहर 3 बजे से मंगलवार दोपहर 3 बजे तक धरने पर बैठे हैं। उनके साथ कॉलोनी के सैकड़ों निवासी, जिनमें कुचबिहार के दिनहाटा से आए श्रमिक भी धरने में शामिल हैं। धरने में कोई नारेबाजी नहीं हो रही—बल्कि लोग कवि काज़ी नजरुल इस्लाम की पंक्तियाँ दोहरा रहे हैं। कारार ओई लौह कपाट, तोड़ दो, मिटा दो। (उस जेल के लोहे के दरवाज़े को तोड़ दो, ध्वस्त कर दो!) जय हिंद कॉलोनी की ज़मीन को लेकर मालिकाना विवाद चल रहा है, और यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में है। करीब 60 बीघा ज़मीन पर 30 लोगों ने मालिकाना हक का दावा किया है। जिसके कारण प्रशासन ने बिजली और पानी की सप्लाई बंद कर दी है। हालांकि कॉलोनी के लोगों का कहना है कि वे कई वर्षों से यहां रह रहे हैं, और उनके पास वैध पहचान पत्र भी हैं। अब सवाल यह है कि बच्चों और बुजुर्गों के साथ वे कहां जाएं? तृणमूल का आरोप: “सिर्फ इसलिए टारगेट किया जा रहा क्योंकि ये बंगाली हैं। तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि दिल्ली की सिर्फ यही नहीं, बल्कि करीब दर्जनभर बस्तियों में बंगाल से आए लोगों को बार-बार उजाड़ा जा रहा है। रोज़गार की तलाश में आए ये लोग हर बार सड़कों पर आ जाते हैं क्योंकि उनके पास और कोई सहारा नहीं है। पार्टी का कहना है कि इन लोगों का एकमात्र ‘अपराध’ यह है कि वे बंगाली हैं। तृणमूल ने अन्य राजनीतिक दलों से भी अपील की है कि मानवता के आधार पर इन लोगों का साथ दें। अब तृणमूल कांग्रेस इस मुद्दे को संसद में उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है।