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इस दिवाली पारंपरिक दीये की खूब रही मांग

लोगों का कहना है कि मिट्टी के दीयों की तुलना नहीं हो सकती है

सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : रोशनी के त्याेहार दीपावली में दीये से हर कोना रोशन होता है। इस साल दिवाली के बाजार में देशी मोमबत्तियों, दीयों और हाथ से बने मिट्टी के दीयों की भारी मांग देखी गई। लोगों ने फिर से पारंपरिक दीयों को ही अपनी पसंद बताया। लोगों का कहना है कि मिट्टी के दीयों की तुलना नहीं हो सकती है। भले ही अलग अलग कई तरह की दीये बाजार में उपलब्ध हों लेकिन मिट्टी के दीयों की मांग अधिक रही। बड़ाबाजार में खरीददारों से बात करते हुए उन्होंने बताया कि चीनी वस्तुओं की मांग जो पिछले साल तक बहुत लोकप्रिय थीं, अब स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार उत्पादों की ओर बढ़ गई है। कई दुकानदारों ने बताया कि भले ही उनके पास चीनी लाइटों और टी-लाइटों का स्टॉक था, लेकिन स्थानीय दीयों को ही प्राथमिकता दी। इस बार मिट्टी के दीयों की मांग में काफी ज्यादा उछाल रही। जानबाजार के एक विक्रेता ने कहा कि इस साल रुझान बदल गया है, खरीददार केवल स्वदेशी और हस्तनिर्मित उत्पाद ही खरीदना चाहते हैं। पिछले कुछ वर्षों में चीनी मोमबत्तियों की मांग काफी ज्यादा थी। इसलिए, हमने इन उत्पादों का स्टॉक कर लिया, लेकिन अचानक मांग देसी वस्तुओं की ओर मुड़ गई और उनकी बिक्री तेज हो गयी है।

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