सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में पोइला बैसाख नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह दिन बंगाली समुदाय के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। बंगाली व्यापारी इस अवसर को ‘हाल खाता’ करते है। इस मौके पर बाजारों में मिठाइयों की दुकानें तरह-तरह की मिठाइयों से सजकर पूरी तरह तैयार हैं। बता दें कि लोग पोइला बैसाख के अवसर पर खासकर बंगाली मिठाइयां जैसे रसगुल्ले, चमचम और संदेश की खरीददारी करते हैं। ऐसे में पिछले साल की तुलना में मिठाइयों के दामों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। इसके बावजूद लोग जमकर खरीददारी करते हुए नजर आये। ऐसे में दुकानदारों का कहना है कि इस साल कीमत में उछाल देखी जा रही है। हालांकि कई मिठाइयों के दाम में 50 रुपये प्रति किलोग्राम तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है। इसे लेकर सन्मार्ग की एक टीम ने कुछ दुकानदारों ने बातचीत की।
इस साल पोइला बैसाख पर कुछ खास मिठाई की वैरायटी
पोइला बैसाख के इस खास मौके पर लोग तरह तरह की मिठाइयों की वैरायटी की खरीददारी करते हैं। इसे लेकर दुकानों में कई तरह की स्वादिष्ट मिठाइयां उपलब्ध हैं जो पोइला बैसाख के लिए खासतौर पर तैयार की गई हैं। बता दें कि इन खास मिठाइयों में ऑरेंज चमचम, गुड़ की रस्टिक चमचम, दिलखुश मिठाई, तरह तरह के संदेश व अन्य मिठाई भी शामिल हैं। बता दें कि लोग रसगुल्ला व संदेश मिठाई की ज्यादातर खरीददारी कर रहे हैं।
कोलकाता के प्रसिद्ध दुकानदारों ने कहा
शोभाबाजार स्थित चित्तरंजन मिष्ठान्न भंडार के निताई चंद्र घोष ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी पोइला बैसाख पर हमलोग ग्राहक के ऑडर नहीं लेते हैं क्योंकि ऑडर लेने से आम लोगों को मिठाई नहीं मिल पायेगी। चांदनी चौक स्थित 199 साल पुराना भीम चंद्र नाग के दुकानदार ने कहा कि पोइला बैसाख पर लोगों की काफी भीड़ उमड़ती है। उन्होंने बताया कि हर साल ही कीमत में उछाल देखी जाती है। इसका कारण यह है कि मिठाई को बनाने के लिए दूध समेत अन्य कच्चे माल भी महंगे हो गये हैं और परिवहन का खर्च बढ़ रहा है जिसका असर मिठाइयों की कीमतों पर पड़ रहा है।
मिठाई की खरीददारी कर रहे लाेगों ने यह कहा
बताते चलें कि मिठाई की खरीददारी करने आये अलोक दास ने बताया कि जो मिठाई आम दिनों में 10 से 15 रुपये प्रति पीस मिलती है उसका दाम 25 रुपये प्रति पीस हो गया है और वह साइज में भी छोटी हो गयी है। इसे लेकर लोग अपने बजट के अनुसार ही मिठाई खरीदते है। उन्होंने कहा कि कीमत बढ़ने के बावजूद त्योहार के कारण लोग मिठाई खरीदने के लिए मजबूर हैं।