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मानसून सत्र को लेकर एक्शन मोड में तृणमूल

पहलगाम के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मांगेगी जवाब

कोलकाता: 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में तृणमूल कांग्रेस पूरी तरह एक्शन मोड में नजर आएगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस सत्र से पहले अपने सांसदों के साथ विशेष बैठक कर रणनीति तय कर सकती है। इस बैठक में सांसदों को सख्त निर्देश दिए जाएंगे कि वे पहलगाम आतंकी हमला, विदेश नीति की विफलता, चुनावी सुधार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी जैसे मुद्दों को संसद में जोरदार ढंग से उठाएं।

विदेश नीति को लेकर केंद्र की दिशा स्पष्ट नहीं

टीएमसी पहले ही ‘#5सवाल’ अभियान के जरिए केंद्र सरकार से जवाब मांग चुकी है। राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने प्रधानमंत्री से सवाल किया था कि 71 दिन बीतने के बाद भी पहलगाम हमले पर सरकार क्यों चुप है और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर कठघरे में खड़ा करने में क्यों विफल रही है? टीएमसी का मानना है कि पहलगाम हमले पर सरकार की चुप्पी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गंभीर सवाल खड़े करती है। यही नहीं, विदेश नीति को लेकर केंद्र की दिशा स्पष्ट नहीं है। सूत्रों का दावा है कि, ममता बनर्जी चाहती हैं कि उनकी पार्टी इस बार संसद में विपक्ष की आवाज का नेतृत्व करे और सरकार को घेरने में कोई कोताही न हो। मॉनसून सत्र से पहले 19 जुलाई को होने वाली सर्वदलीय बैठक में भी पार्टी इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी। साथ ही, संसद परिसर में विरोध और धरना प्रदर्शन की भी संभावना है। पार्टी सूत्रों के अनुसार यदि केंद्र सरकार पहलगाम मुद्दे पर पूर्ण चर्चा का विकल्प चुनती है तो टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी विपक्ष की ओर से मुख्य वक्ताओं में शामिल होंगे।

चुनाव सुधारों को लेकर भी आक्रामक रुख

इस बीच, केंद्र सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ 'जली हुई नकदी घोटाले' को लेकर महाभियोग लाने की तैयारी में है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली समिति ने आरोपों में पर्याप्त आधार पाया है। हालांकि टीएमसी ने इस पर अपना रुख तय करने के लिए बैठक बुलाने की बात पर विचार कर रही है। साथ ही, टीएमसी चुनाव सुधारों को लेकर भी आक्रामक रुख अपनाएगी। 24 जून को चुनाव आयोग द्वारा जारी उस निर्देश पर भी पार्टी ने आपत्ति जताई है, जिसमें 2003 के बाद शामिल मतदाताओं से खुद और उनके माता-पिता की नागरिकता का प्रमाण मांगा गया है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया और कहा कि यह नीति 'पहले पात्रता, बाद में समावेशन' की भावना दर्शाती है, जो हाशिए के तबकों को वोट देने के अधिकार से वंचित करने की कोशिश है। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस बार पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी दिल्ली जाएंगी या नहीं, मगर पार्टी ने मॉनसून सत्र में इन सभी मुद्दों पर तीखी बहस छेड़ने की तैयारी कर ली है।

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