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बिहार में एसआईआर: तृणमूल ने चुनाव आयोग पर बोला हमला

बंगाल में तेज हो रहा है विरोध

कोलकाता: बिहार में चल रही मतदाता सूची में विशेष निगरानी संशोधन प्रक्रिया (एसआईआर) को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी का दावा है कि एसआईआर के नाम पर फर्जी और दोहरी प्रविष्टियां हटाने के बजाय, आयोग ने गड़बड़ी और धांधली को और बढ़ावा दिया है।

सोमवार को तृणमूल भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के नेता कुणाल घोष और मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि आयोग ने 7 जून तक सभी गड़बड़ियों को सुधारने का वादा किया था, लेकिन अब तक की स्थिति इसके विपरीत है। तृणमूल का आरोप है कि चुनाव आयोग ने अपने संवैधानिक दायित्व के साथ विश्वासघात किया है और वह भाजपा के हाथों एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल हो रहा है।

तृणमूल ने बताया कि केवल बिहार के 39 विधानसभा क्षेत्रों में 1,87,643 मामलों की पहचान हुई है, जहां एक ही व्यक्ति का नाम दो बार दर्ज है। कभी-कभी नाम, रिश्तेदार का नाम और उम्र तक एक जैसी है। 1.02 लाख मामलों में नाम और माता-पिता के नाम में समानता है, जबकि उम्र का अंतर 0 से 5 वर्ष तक ही है।

इतना ही नहीं, 25,862 मामलों में नाम, पिता का नाम और उम्र – तीनों एक जैसे हैं, फिर भी व्यक्ति दो बार वोटर लिस्ट में मौजूद है। पार्टी ने सवाल किया, अगर इतनी बड़ी संख्या में फर्जी वोटर लिस्ट में बने हुए हैं, तो फिर एसआईआर का असल मकसद क्या था? क्या ये प्रक्रिया सिर्फ भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए थी?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी पहले ही इस प्रक्रिया को अस्वीकार्य करार दे चुके हैं। तृणमूल ने चेतावनी दी है कि यदि बंगाल में भी इसी तरह की प्रक्रिया लागू की गई, तो वह इसका कड़ा विरोध करेगी। इसके साथ ही, पार्टी ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की है।

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