इस्लामाबादः भारत और पाकिस्तान के बीच 2025 में पिछले कुछ दशकों में सबसे बड़ा सैन्य टकराव हुआ जिसने आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान की आंतरिक और बाहरी बुनियाद को चुनौती दी और देश को एक नाजुक मोड़ पर ला खड़ा किया।
भारत ने इस साल गर्मियों में पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाते हुए समन्वित मिसाइल हमले किए। इस आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे।
ड्रोन, मिसाइल और अन्य आधुनिक हथियारों के इस्तेमाल ने दुनिया को इस आशंका से चिंतित किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद दोनों देश के बीच शुरू हुआ सैन्य टकराव पूर्ण युद्ध में बदल सकता है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने सात मई को तड़के हमलों के कुछ घंटे बाद कहा था कि खुफिया रिपोर्ट से संकेत मिला था कि ‘‘भारत के खिलाफ और हमले होने वाले हैं इसलिए निवारक और एहतियाती कदमों के तौर पर हमले जरूरी’’ थे।
भारत के वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह के अनुसार, भारतीय हमलों में अमेरिका निर्मित एफ-16 सहित कम-से-कम एक दर्जन पाकिस्तानी सैन्य विमान नष्ट या क्षतिग्रस्त हुए। सैन्य टकराव दोनों देशों के बीच बनी सहमति के बाद 10 मई को समाप्त हुआ। इस टकराव के दौरान पाकिस्तान ने चीनी सैन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया जिससे चीन की रक्षा तकनीक पर उसकी निर्भरता उजागर हुई। चीन के अलावा तुर्किये और अजरबैजान से भी उसे समर्थन मिला।
मुनीर को पदोन्नत कर फील्ड मार्शल
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को ‘व्हाइट हाउस’ (अमेरिका के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) में भोज पर आमंत्रित किया। मुनीर को बाद में पदोन्नत कर फील्ड मार्शल बनाया गया। ट्रंप ने इसके बाद बार-बार यह दावा किया कि उन्होंने संघर्ष खत्म कराने में मदद की। भारत लगातार कहता रहा है कि दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधे संवाद के बाद सैन्य टकराव रोकने पर सहमति बनी थी।
इसके बाद पाकिस्तान का सऊदी अरब के साथ रक्षा समझौता हुआ। सितंबर 2025 में हस्ताक्षरित रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते (एसएमडीए) ने सुरक्षा सहयोग को औपचारिक रूप दिया। इस समझौते के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, किसी ‘‘एक देश पर आक्रमण को दोनों पर आक्रमण माना’’ जाएगा। ऊर्जा, व्यापार और कूटनीतिक समर्थन के लिए रियाद से संबंध बढ़ा रहा भारत ऐसी किसी भी सुरक्षा व्यवस्था पर करीबी नजर रखेगा।
पाक-अफगान में झड़पें
मई के सैन्य टकराव के बाद पाकिस्तान की कूटनीतिक सक्रियता बढ़ी और उसे गाजा की स्थिति पर परामर्श के लिए ट्रंप द्वारा आमंत्रित मुस्लिम देशों में शामिल किया गया। उससे गाजा में अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल के लिए सैनिकों का योगदान देने की भी अपेक्षा जताई गई। अक्टूबर में पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान की सीमा पर झड़पें हुईं और इस्लामाबाद ने दावा किया कि कम-से-कम 206 अफगान तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के 110 लड़ाके मारे गए जबकि 23 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई। तनाव कम करने के लिए हुई कई दौर की वार्ता के बाद भी खास सफलता नहीं मिली लेकिन टीटीपी को लेकर मतभेदों के बीच वर्ष के अंत में दोनों देशों ने सतर्कता से नए प्रयास किए।
पाकिस्तान में सीमाओं पर तनाव जारी रहने के साथ-साथ घरेलू राजनीतिक परिदृश्य भी विस्फोटक बना रहा जिसका केंद्र सैन्य कानून में ऐतिहासिक बदलाव और सबसे लोकप्रिय राजनीतिक हस्ती इमरान खान की कैद रहा। असैन्य प्रशासन पर पूर्ण सैन्य प्रभुत्व का संकेत देते हुए पाकिस्तानी सेना ने कमान को केंद्रीकृत करने और "एकीकृत मोर्चा" पेश करने के लिए एक ऐतिहासिक अंदरूनी बदलाव किया। मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया गया और उन्हें पहला ‘चीफ ऑफ डिफेन्स फोर्सेज’ नियुक्त किया गया। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का दावा है कि यह कदम पाकिस्तान में लागू ‘आसिम कानून’ को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया।
इमरान खान की मौत की खबरें उड़ीं
दिसंबर में विशेष अदालत ने तोशाखाना-दो भ्रष्टाचार मामले में इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 17 साल कैद की सजा सुनाई जिसके बाद रावलपिंडी और इस्लामाबाद में झड़पें हुईं। दिसंबर में अदालत ने इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रमुख रहे सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को 14 साल कैद की सजा सुनाई। हमीद को इमरान खान का करीबी माना जाता था। इस साल पाकिस्तान में आतंकवादी घटनाएं पिछले वर्ष की तुलना में 25 प्रतिशत बढ़ीं और खैबर पख्तूनख्वा इससे सबसे अधिक प्रभावित रहा।
आर्थिक मोर्चे पर, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के ताजा अनुमानों से संकेत मिलता है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ने अल्पकालिक स्थिरता हासिल कर ली है, लेकिन अत्यधिक कर्ज, कमजोर निवेश और धीमी रोजगार वृद्धि की चुनौती बनी हुई है। इस साल पाकिस्तान के सामने आतंकवाद, पड़ोसियों के साथ तनावपूर्ण संबंध और आंतरिक राजनीतिक संकट प्रमुख चुनौतियां बनी रहीं।