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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत, उन्नाव रेप पीड़िता ने कहा- मुझे न्याया मिला

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता ने न्याय प्रणाली पर अपना पूरा विश्वास जताया।

उन्नाव/नई दिल्लीः उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता ने सोमवार को कुलदीप सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने पर संतोष व्यक्त किया और न्याय प्रणाली पर अपना पूरा विश्वास जताया।

उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने सेंगर को नोटिस भी जारी किया, जिसमें उसे जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया।

पीड़िता ने समाचार एजेंसी से फोन पर कहा, ‘‘मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं। मुझे उच्चतम न्यायालय से न्याय मिला है। मैं शुरू से ही न्याय के लिए आवाज उठाती रही हूं।’’

मुझे अदालतों पर भरोसा

उसने कहा, ‘‘मैं किसी भी अदालत के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाती। मुझे सभी अदालतों पर भरोसा है, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने मुझे न्याय दिया है और ऐसा करना जारी रखेगा।’’ उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित कर दिया गया था और मामले में उसकी अपील लंबित रहने तक उसे जमानत दे दी गई थी। उन्नाव के पूर्व विधायक सेंगर को इस मामले में दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

सेंगर ने निचली अदालत के फैसले को दी थी चुनौती

गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सेंगर की सजा को यह कहते हुए निलंबित कर दिया था कि वह पहले ही सात साल और पांच महीने जेल में बिता चुके हैं। उच्च न्यायालय ने बलात्कार मामले में दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली अपील लंबित रहने तक सेंगर की सजा को निलंबित कर दिया था। सेंगर ने इस मामले में दिसंबर 2019 के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है।

बहरहाल भाजपा से निष्कासित नेता जेल में ही रहेगा क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है और उस मामले में उसे जमानत नहीं मिली है। बलात्कार का मामला और इससे जुड़े अन्य मामले अगस्त 2019 को उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की निचली अदालत से दिल्ली स्थानांतरित किए गए थे।

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