निधि, सन्मार्ग संवाददाता
नदिया : नदिया जिले के शांतिपुर थाना क्षेत्र में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए जघन्य अपराध के मामले में न्यायपालिका ने एक ऐतिहासिक और कड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी गौतम राजोआर को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इस फैसले से न केवल पीड़ित परिवार को न्याय मिला है, बल्कि समाज में अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश भी गया है।
यह मामला अक्टूबर 2021 का है। उस समय पूरा बंगाल दुर्गा पूजा के उत्सव में डूबा हुआ था। हुगली की रहने वाली 12 वर्षीय एक नाबालिग बच्ची नदिया के शांतिपुर थाना अंतर्गत आराबांदी इलाके में अपने एक रिश्तेदार के घर घूमने आई थी। त्योहार के माहौल के बीच 12 अक्टूबर 2021 की शाम, स्थानीय निवासी गौतम राजोआर ने मासूमियत का फायदा उठाते हुए बच्ची को अपना शिकार बनाया।
आरोपी ने बच्ची को नई घड़ी दिखाने का झांसा दिया और उसे बहला-फुसलाकर अपने घर ले गया। वहां उसने मासूम के साथ हैवानियत की और दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। घटना के बाद बच्ची बुरी तरह डर गई और रोते हुए अपने रिश्तेदारों के पास पहुंची। जब परिजनों को इस घिनौनी करतूत का पता चला, तो वे दंग रह गए और तुरंत पीड़िता को इलाज व मेडिकल जांच के लिए शांतिपुर अस्पताल ले गए।
परिजनों ने बिना समय गंवाए शांतिपुर थाने में आरोपी के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई। रणाघाट पुलिस जिला के निर्देश पर शांतिपुर पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई शुरू की।
त्वरित गिरफ्तारी: मामले के पहले जांच अधिकारी (SI) अभिक मुखर्जी ने अत्यंत तत्परता दिखाई और घटना के कुछ ही समय बाद आरोपी गौतम राजोआर को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया।
वैज्ञानिक और सटीक जांच: मामले की कमान बाद में दूसरे जांच अधिकारी (SI) कौशिक कर ने संभाली। उन्होंने वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाए, गवाहों के बयान दर्ज किए और एक बेहद मजबूत चार्जशीट अदालत में पेश की। पुलिस की इस पेशेवर जांच का ही परिणाम था कि आरोपी को बचने का कोई रास्ता नहीं मिला।
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने पुख्ता सबूत और गवाह पेश किए। माननीय अदालत ने माना कि आरोपी ने एक मासूम बच्ची के भरोसे और उसकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया है। सभी पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने गौतम राजोआर को दोषी करार दिया और उसे 20 साल के कठोर कारावास के साथ आर्थिक दंड की भी सजा सुनाई।
अदालत के इस फैसले का स्थानीय निवासियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है। लोगों का कहना है कि ऐसे फैसलों से पुलिस और न्यायपालिका के प्रति जनता का विश्वास और मजबूत होता है।