निधि, सन्मार्ग संवाददाता
नैहाटी: "सर, आपने तो जीवित इंसान को ही मार डाला!" यह जुमला इन दिनों नैहाटी के कर्मकार परिवार के घर के बाहर गूंज रहा है। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी क्षेत्र में एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। यहाँ पांच पीढ़ियों से रह रहे एक प्रतिष्ठित नागरिक सोमेश्वर कर्मकार को सरकारी दस्तावेजों (SIR) में 'मृत' घोषित कर दिया गया है। जब यह खबर गांव में फैली, तो कोहराम मच गया और लोग यह देखने उनके घर पहुंच गए कि आखिर यह माजरा क्या है।
हैरानी की बात यह है कि सोमेश्वर कर्मकार कोई गुमनाम व्यक्ति नहीं हैं। उनका नाम साल 2002 से मतदाता सूची में दर्ज है और वे लगातार अपने मताधिकार का प्रयोग करते आ रहे हैं। यहाँ तक कि अभी हाल ही में संपन्न हुए 2024 के नैहाटी उपचुनाव में भी उन्होंने बूथ पर जाकर पूरे उत्साह के साथ वोट डाला था। लेकिन हालिया 'सर्च इमेजिंग रिपोर्ट' (SIR) के अनुसार, चुनाव आयोग की फाइलों में सोमेश्वर अब इस दुनिया में नहीं हैं। एक तरफ उंगली पर लगा वोट का निशान उनकी जीवित होने की गवाही दे रहा है, तो दूसरी तरफ चुनाव आयोग का पोर्टल उन्हें मृत बता रहा है।
जब सोमेश्वर कर्मकार को इस सरकारी 'डेथ वारंट' की जानकारी मिली, तो वे पहले तो हतप्रभ रह गए, लेकिन फिर उन्होंने व्यवस्था पर करारा प्रहार किया। बेहद आक्रोशित और व्यथित सोमेश्वर ने तंज कसते हुए कहा, "अगर चुनाव आयोग ने अपनी कलम से मुझे मार ही दिया है, तो अब मेरे अंतिम संस्कार का पूरा खर्चा भी वही उठाए। आयोग मेरे परिवार की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले, फिर मैं मरने को तैयार हूँ।" पेशे से स्वर्णकार सोमेश्वर सुबह गालियों में घूमते और अपने काम पर जाते देखे गए, जिससे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली, क्योंकि सुबह से उनके घर के बाहर मातम जैसा माहौल बन गया था। सोमेश्वर का कहना है कि एक नागरिक के रूप में उनकी पहचान को इस तरह मिटा देना किसी मानसिक प्रताड़ना से कम नहीं है।
कर्मकार परिवार इस क्षेत्र का काफी पुराना और सम्मानित परिवार माना जाता है। सोमेश्वर के पूर्वजों की यहाँ पांच पीढ़ियों से रिहाइश है। वे कोई शरणार्थी या बाहर से आए व्यक्ति नहीं हैं। ग्रामीणों का भी कहना है कि जिस व्यक्ति को पूरा इलाका बचपन से देख रहा है, उसे प्रशासन ने बिना किसी जमीनी सत्यापन (Verification) के मृत कैसे मान लिया?
इस मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। नैहाटी के विधायक सनत दे ने इस घटना को लेकर प्रशासन और विपक्षी दल पर तीखा हमला बोला है। विधायक का आरोप है कि यह केवल एक लिपिकीय त्रुटि (Clerical Error) नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश है। उन्होंने कहा, "बीजेपी के उकसावे और प्रलोभन में आकर जानबूझकर उन लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटे जा रहे हैं जो तृणमूल कांग्रेस के कट्टर समर्थक हैं। यह लोकतंत्र की हत्या करने की कोशिश है।"
फिलहाल, सोमेश्वर कर्मकार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं ताकि वे खुद को फिर से 'जीवित' साबित कर सकें। यह घटना दर्शाती है कि डिजिटल इंडिया के इस दौर में भी फील्ड लेवल पर काम करने वाले अधिकारियों की एक छोटी सी लापरवाही किसी व्यक्ति की पूरी पहचान मिटा सकती है। अब देखना यह है कि चुनाव आयोग अपनी इस गलती को कितनी जल्दी सुधारता है और इस गंभीर चूक के जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होती है।