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‘नेता और जज की होनी चाहिए मोटी चमड़ी’

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी पर थरूर की टिप्पणी को लेकर कहा

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बयान देने को लेकर मानहानि मामले का सामना कर रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर को यह कहते हुए राहत के संकेत दिये कि नेताओं और जजों को मोटी चमड़ी का होना चाहिए।

भाजपा नेता ने किया था मानहानि का मामला

गौरतलब है कि 2018 में थरूर ने बेंगलुरू लिटरेचर फेस्टिवल में कहा था कि एक आरएसएस नेता ने ही नरेंद्र मोदी की तुलना ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’ से की थी। इसी बयान को लेकर भाजपा नेता राजीव बब्बर ने मानहानि का मामला दायर किया था। इस मामले में कार्यवाही रोकने की मांग थरूर ने की थी, जिसे उच्च न्यायालय में खारिज कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय का रुख किया। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह के पीठ ने कहा कि आखिर सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों को इतना टची (भावुक) नहीं होना चाहिए। ऐसे बयानों को दिल से नहीं लगाना चाहिए।

उच्च न्यायालय से नहीं मिली थी राहत

थरूर की नवंबर 2018 में की गयी इस टिप्पणी पर विवाद हुआ था और उच्च न्यायालय ने कहा था कि उनका बयान प्रधानमंत्री और आरएसएस की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है। इसी आधार पर उनके खिलाफ दायर मामले में कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था। इसी मामले में शुक्रवार को शीर्ष न्यायाल के पीठ ने बब्बर और थरूर को सलाह दी कि इस मामले को खत्म कर दें। फिलहाल वकीलों ने जवाब देने के लिए समय मांगा है और अब अगली सुनवाई में मामले का भविष्य तय होगा। शशि थरूर का कहना है कि मैंने जो कहा वह मेरा कथन नहीं था। वास्तव में यह बयान गोवर्धन झड़फिया का था।

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