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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मिली मायूस पिता को राहत

बाली का बहुचर्चित खुदकुशी का मामला कहा : हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से अपील करे

सन्मार्ग संवाददाता

नयी दिल्ली/कोलकाता : बेटे की खुदकुशी के बाद अंधेरे में भटक रहे मायूस पिता को रोशनी नजर आई है। उम्मीद बंधी है कि अब न्याय मिल जाएगा। न्याय मिलने में देर होने का हवाला देते हुए पिता ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने उन्हें हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष मामले को मोशन के रूप में पेश करने का आदेश दिया है। यहां याद दिलां दे कि बाली की खुदकुशी की यह घटना काफी चर्चा में रही है।

जस्टिस अमानुल्लाह के बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि पीटिशनर जगन्नाथ साव ने हाई कोर्ट में रिट दायर की थी। उसकी दलील है कि न्याय मिलने में देर हो रही है इसलिए उसने सुप्रीम कोर्ट में यह अपील दायर की है। हाई कोर्ट में यह मामला सुनवायी के लिए आया था। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को केस डायरी पेश करने का आदेश दिया था। मार्च में इस मामले की सुनवायी होने की उम्मीद थी, पर नहीं हो पायी। नये सिरे से जांच करने का कोई आदेश भी नहीं दिया गया है। इस वजह से उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है और उसने त्वरित न्याय पाने के लिए यह एसएलपी दायर की है। बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि पीटिशनर चाहे तो हालात का हवाला देते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष मोशन दायर कर सकता है। बेंच ने कहा है कि अगर ऐसा किया जाता है तो उम्मीद है कि हाई कोर्ट इस मामले में सकारात्मक कार्रवाई करेगा। मिली जानकारी के मुताबिक खुदकुशी की यह घटना 2021 में हावड़ा के बाली में घटी थी। 35 साल के युवक ने फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली थी। हत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में उसकी पत्नी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। करीब 45 दिनों बाद उसे कोर्ट से जमानत मिल गई थी। पुत्र की मौत की सटीक जांच की जाने की अपील करते हुए हाई कोर्ट में पिता ने रिट दायर की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। अब इस बाबत चीफ जस्टिस फैसला लेंगे।


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