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5 वर्ष बाद अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति पुनः शुरू

किसानों की पुरानी मांग पूरी, कृषि गतिविधियों को मिलेगा बल

सन्मार्ग संवाददाता

श्री विजयपुरम : लगभग 5 वर्षों के अंतराल के बाद अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति पुनः आरंभ कर दी गई है। यह आपूर्ति किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने और द्वीपों में कृषि गतिविधियों को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है। वर्तमान खरीद प्रक्रिया को समेकित पोषक तत्व प्रबंधन (आईएनएम) के सिद्धांतों के अनुरूप किया गया है, जिसमें संतुलित उर्वरक उपयोग, मृदा स्वास्थ्य में सुधार तथा टिकाऊ फसल उत्पादकता पर विशेष जोर दिया गया है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उर्वरकों का प्रयोग मृदा आधारित अनुशंसाओं के अनुसार और विवेकपूर्ण ढंग से हो। अंडमान एवं निकोबार प्रशासन के मुख्य सचिव तथा आयुक्त-सह-सचिव (कृषि) के मार्गदर्शन में कृषि विभाग द्वारा पहली खेप के रूप में 225 मीट्रिक टन नीम लेपित यूरिया और 375 मीट्रिक टन डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) मंगाया गया है। यह खेप श्री विजयपुरम पहुंच चुकी है और जैविक कृषि के अंतर्गत आने वाले बड़े क्षेत्र प्रमाणीकरण को छोड़कर दूरस्थतम द्वीपों के उप-भंडारों तक भेजी जाएगी। किसानों को रासायनिक उर्वरकों का वितरण जनवरी 2026 के प्रथम सप्ताह से संबंधित उप-डिपो से शुरू किए जाने की संभावना है। द्वीपीय क्षेत्र की भौगोलिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए मुख्य भूमि से परिवहन और आंतरिक तथा दूरदराज क्षेत्रों तक निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।

इस संबंध में 17 दिसंबर 2025 को सभी जोनल अधिकारियों के साथ एक तैयारी बैठक आयोजित की गई थी। आवश्यक तकनीकी उपाय, जिनमें पीओएस मशीनों का प्रतिस्थापन और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के समन्वय से उपयोगकर्ता विवरणों का अद्यतन शामिल है, पूर्ण कर लिए गए हैं। अधिकृत विभागीय उप-डिपो के माध्यम से वास्तविक किसानों को पीओएस मशीनों के जरिए उर्वरक उपलब्ध कराए जाएंगे, जिन पर 20 प्रतिशत लागत सब्सिडी तथा 100 प्रतिशत परिवहन सब्सिडी दी जाएगी। किसानों को सलाह दी गई है कि वे केवल अधिकृत केंद्रों से ही उर्वरक खरीदें और अनुशंसित मात्रा तथा मृदा स्वास्थ्य परामर्श के अनुसार ही उनका उपयोग करें। उर्वरकों की पुनः आपूर्ति से वर्तमान और आगामी फसल मौसम में कृषि उत्पादकता बढ़ने तथा किसानों की आजीविका को सुदृढ़ करने की उम्मीद है।

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