कोलकाता: हुगली के ऐतिहासिक ‘वंदेमातरम्’ भवन, वह स्थान है जहाँ साहित्य सम्राट बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में यह कविता लिखी थी। इसके नवीनीकरण के लिए राज्य सरकार पहल कर रही है। इसके साथ ही राष्ट्रगीत को नयी पीढ़ी तक पहुँचाने एवं उसके महत्व को उजागर करने के लिए राज्य स्तर पर कई योजनाएँ तैयार की जा रही हैं।
राज्य सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय गीत के 150 वर्ष विषयक विशेष उद्यापन समिति की पहली बैठक रवींद्र सदन में आयोजित हुई। समिति की चेयरपर्सन लीना गंगोपाध्याय ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल पर बुलाई गई इस बैठक में अधिकांश सदस्य उपस्थित थे। बैठक में नयी पीढ़ी के बीच राष्ट्रगीत के प्रति जागरूकता फैलाने के कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव सामने आये, जिन पर विचार किया जा रहा है।
समिति के एक सदस्य ने बताया कि बंकिमचंद्र के ‘वंदेमातरम्’ को राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त होने के बावजूद बड़ी संख्या में नयी पीढ़ी इसके इतिहास, धुन, परंपरा और सांस्कृतिक महत्व से अवगत नहीं है। इस स्थिति को बदलने के लिए राज्य के सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में राष्ट्रगीत पर सेमिनार, विचार–चक्र, व्याख्यान और प्रदर्शनी आयोजित करने का प्रस्ताव रखा गया है।
इसके अलावा बंकिमचंद्र से जुड़े विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों—विशेषकर हुगली स्थित ‘वंदेमातरम् भवन’ के नवीनीकरण तथा वहाँ सप्ताह भर चलने वाली सांस्कृतिक कार्यशालाओं की भी योजना बनायी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, ‘वंदेमातरम्’ को लेकर कुछ राज्यों में उभरने वाली विभाजनकारी व्याख्याओं के विपरीत, बंगाल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण को प्रमुखता देते हुए अपना स्वतंत्र रुख प्रस्तुत करेगा।