CM Mamata Banerjee & Governor Dr CV Ananda Bose  
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अब राजभवन की भूमिका पर राज्य की पैनी नजर

'बंगाल दिवस' के प्रस्ताव पर टकराव की सम्भावना

कोलकाता: राज्य सरकार द्वारा केंद्र के ‘संविधान हत्या दिवस’ (आगामी 25 जून को) और ‘बंगाल राज्य दिवस’ (आगामी 20 जून को) मनाने के प्रस्ताव को खारिज किए जाने के बाद अब सबकी नजरें राजभवन की गतिविधियों पर टिक गई हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस प्रस्ताव को न केवल सिरे से नकारा, बल्कि इसे बंगाली अस्मिता और भावना के खिलाफ करार देते हुए केंद्र पर तीखा हमला भी बोला। अब शुक्रवार को 'बंगाल प्रतिष्ठा दिवस' दोनों पक्षों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।

राज्य सरकार और राजभवन के बीच संबंधों में मधुरता देखी गई है

उल्लेखनीय है कि बुधवार को नवान्न में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि केंद्र सरकार देश के संविधान के मूल ढांचे को रोज नुकसान पहुँचा रही है। 'जो खुद संविधान का अपमान कर रहे हैं, वे 'संविधान हत्या दिवस' की बात कर रहे हैं, यह बेहद हास्यास्पद है।' साथ ही उन्होंने ‘बंगाल राज्य दिवस’ की तारीख थोपे जाने पर भी आपत्ति जताई, इसे एकतरफा फैसला और बंगाल की सांस्कृतिक पहचान पर हमला बताया। इस संबंध में ज्ञात हुआ है कि राजभवन पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी 'बंगाल राज्य दिवस' का उत्सव मना सकता है। इस खबर से राज्य सचिवालय नवान्न में खलबली मच गई। हालांकि हाल के दिनों में राज्य सरकार और राजभवन के बीच संबंधों में मधुरता देखी गई है।

राज्यपाल की भूमिका राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस के बीच कई मुद्दों पर समन्वय दिखाई दिया है लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि राजभवन इन केंद्र प्रस्तावित कार्यक्रमों में भागीदारी करता है, तो राज्य सरकार और राजभवन के बीच फिर से तनाव उभर सकता है। सूत्रों के अनुसार, नवान्न की पैनी नजर अब इस पर है कि क्या राजभवन इन आयोजनों में शामिल होता है या नहीं। इस मुद्दे पर राज्यपाल की भूमिका आने वाले दिनों में राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि वह इन आयोजनों का किसी भी रूप में समर्थन नहीं करेगी। अब देखना यह है कि राजभवन समन्वय या टकराव में किसे अपनाता है।

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