सन्मार्ग संवाददाता
गंगटोक : गुरुवार को गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं ने राज्य के विभिन्न मठों, मंदिरों, विहारों और आश्रमों, जैसे तिब्बत रोड स्थित भीमा देवी मंदिर के प्रसिद्ध गुरुजी, देउराली स्थित छोरतेन मठ के तुलकु रिम्पोछे, इंछे मठ और रानीपुल के निकट आदिगुरु शंकराचार्य मंदिर में जाकर पूजनीय गुरुओं की पूजा-अर्चना की और उनसे आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन प्राप्त किया। इस दौरान सभी ने अपनी-अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार गुरुओं को श्रद्धांजलि अर्पित की। पार्टी नेताओं ने गुरु पूर्णिमा के संदेश को आत्मसात करते हुए समाज में सांस्कृतिक, नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के संरक्षण पर जोर दिया। गुरु पूर्णिमा विभिन्न धर्मों के अनुयायियों द्वारा आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार मनाई जाती है। यह पर्व गुरुओं के सम्मान और प्रशंसा को समर्पित है, क्योंकि गुरु जीवन में ज्ञान, नैतिकता और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह दिन महान ऋषि वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह दिन गुरु-शिष्य परंपरा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इसी प्रकार बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा भगवान गौतम बुद्ध से जुड़ी है। यह दिन बुद्ध द्वारा सारनाथ में पंचशील भिक्षुओं को दिए गए प्रथम उपदेश, धम्मचक्र प्रवर्तन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस उपदेश में बुद्ध ने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या की थी। इसी प्रकार जैन धर्म में यह पर्व भगवान महावीर के सम्मान में मनाया जाता है। जैन अनुयायी अपने गुरुओं को उस दिन के रूप में याद करते हैं जिस दिन महावीर स्वामी ने अपने शिष्यों को ज्ञान और मोक्ष का मार्ग दिखाया था। गुरु पूर्णिमा को न केवल धार्मिक गुरुओं, बल्कि शिक्षकों, मार्गदर्शकों और प्रेरक व्यक्तियों का भी सम्मान करने का अवसर माना जाता है। मीडिया प्रभारी नीरेन भंडारी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि यह त्योहार हमें अपने गुरुओं के योगदान की सराहना करने और जीवन में सही रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।