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शिवकुमार-सिद्धरमैया का सत्ता संघर्ष समर्थकों तक पहुंचा, मंगलुरु में वेणुगोपाल के सामने लगे नारे

सिद्धरमैया के समर्थकों ने ‘‘मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के लिए पूर्ण कार्यकाल’’ के नारे लगाकर पलटवार किया।

मंगलुरुः कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच सत्ता को लेकर खींचतान बुधवार को एक बार फिर तब सामने आयी, जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव केसी वेणुगोपाल का स्वागत मंगलुरु हवाई अड्डे पर शिवकुमार के समर्थन में नारों के साथ किया गया।

इसके जवाब में सिद्धरमैया के समर्थकों ने बाद में ‘‘मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के लिए पूर्ण कार्यकाल’’ के नारे लगाकर पलटवार किया। यह घटनाक्रम मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री शिवकुमार के बीच नाश्ते पर दूसरी बार हुई बैठक के ठीक एक दिन बाद सामने आया है, जहां दोनों नेताओं ने एकजुट होने और भाइयों की तरह काम करने का दावा किया था।

सिद्धरमैया के समर्थकों ने भी लगाये नारे

वेणुगोपाल ऐतिहासिक नारायण गुरु-महात्मा गांधी संवाद के शताब्दी समारोह में भाग लेने के लिए मंगलुरु पहुंचे हैं, जो मंगलुरु विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया था और इसमें मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शामिल हुए। वेणुगोपाल के हवाई अड्डा टर्मिनल से बाहर निकलते ही पार्टी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने शिवकुमार के समर्थन में नारे लगाए।

बाद में जब मुख्यमंत्री हवाई अड्डे पर पहुंचे तो उनके समर्थकों ने 'सिद्धू, सिद्धू, पूर्ण अवधि सिद्धू' (सिद्धरमैया का पूरा कार्यकाल) जैसे नारों से जवाब दिया, जिसका स्पष्ट आशय है कि वह 2028 तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करें। इस बीच, सिद्धरमैया ने वेणुगोपाल के साथ संक्षिप्त, निजी मुलाकात भी की।

शिवकुमार को सीएम देखना चाहते हैं समर्थक

शिवकुमार समर्थक समूह के नेता मिथुन राय ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी में कोई "प्रतिद्वंद्वी खेमा" नहीं है, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि कई कार्यकर्ता शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनते देखना पसंद करेंगे। उन्होंने इसे जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं का उपमुख्यमंत्री के प्रति "स्वाभाविक स्नेह" बताया।

सिद्धरमैया और शिवकुमार दोनों ने सार्वजनिक रूप से सरकार को एकजुट बताया है, लेकिन समर्थकों के हालिया बयान दिखाते हैं कि सत्ता को लेकर तनातनी अभी जारी है। मंगलूरु की यह घटना पार्टी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग के बीच मौजूद असंतोष का एक और संकेत है, खासकर उन लोगों में जिन पर शिवकुमार का संगठनात्मक प्रभाव माना जाता है।

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