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संसद में गतिरोध टलने के आसार नहीं, एसआईआर पर हंगामा ‘तय’

सरकार की लोस में खेल बिल, रास ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन विस्तार पारित करानी की कोशिश

नयी दिल्ली : संसद में जारी गतिरोध के बीच सरकार सोमवार को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण खेल विधेयक को पारित कराने पर जोर दे सकती है क्योंकि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा की विपक्ष की एकजुट मांग को सत्तारूढ़ गठबंधन से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी है। लोकसभा ने राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक को विचार एवं पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है, जिसमें खेल निकायों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता की परिकल्पना की गयी है जबकि राज्यसभा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को 13 अगस्त से छह महीने के लिए बढ़ाने संबंधी गृहमंत्री अमित शाह के प्रस्ताव को सोमवार को पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है।

सरकार-विपक्ष अपने अपने रुख पर कायम

पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर दोनों सदनों में दो दिवसीय चर्चा को छोड़कर, 21 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने के बाद से संसदीय कार्यवाही लगभग ठप रही है क्योंकि बिहार में एसआईआर का मुद्दा विपक्षी दल लगातार उठा रहे हैं। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ इस मुद्दे पर एकजुट हो गया है और उसका आरोप है कि निर्वाचन आयोग की इस कवायद का उद्देश्य उसके एजेंडे के प्रति सहानुभूति रखने वाले मतदाताओं को हटाना और भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की संभावनाओं को बढ़ावा देना है। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रक्रिया लागू करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल पात्र मतदाताओं को ही वोट डालने की अनुमति दी जाये। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने निर्वाचन आयोग पर ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाते हुए आयोग की तीखी आलोचना की है।

रीजीजू दे रहे जाखड़ का हवाला

संसदीय कार्यमंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि विपक्ष की मांग पर नियमों के अनुसार निर्णय लेना दोनों सदनों के अध्यक्ष का काम है हालांकि उन्होंने हाल में बलराम जाखड़, जो 1980 से 1989 के बीच लोकसभा अध्यक्ष थे, के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सदन निर्वाचन आयोग जैसी सांविधानिक संस्था के कामकाज पर बहस नहीं कर सकता, जिससे यह पता चलता है कि सरकार विपक्ष की मांग को अस्वीकार करती है। सूत्रों के अनुसार यदि संसद में व्यवधान के कारण सरकार का एजेंडा बाधित होता रहा तो वह शोरगुल के बावजूद अपने प्रमुख विधेयकों को पारित कराने का प्रयास करेगी।

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