ठाकुरनगर में सभा को संबोधित करते केंद्रीय राज्यमंत्री शांतनु ठाकुर  
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शांतनु-शमीक ने TMC को दी 2026 में हराने की चुनौती

निधि, सन्मार्ग संवाददाता

बनगांव: आगामी 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले, पश्चिम बंगाल की राजनीति का केंद्र बिंदु बन चुके मतुआ समुदाय के गढ़ ठाकुरनगर में शनिवार रात को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शक्ति प्रदर्शन किया। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष शमीक भट्टाचार्य, केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर, और विधायक सुब्रत ठाकुर ने एसआईआर (संक्षिप्त पुनरीक्षण) और सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) के समर्थन में एक ज़ोरदार पदयात्रा की, जिसके बाद एक सभा को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर तीखे और सीधे हमले किए गए।

केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने विशेष रूप से मतुआ समाज को संबोधित किया और दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस पर अब मतुआ समुदाय का "कोई भरोसा या आस्था बाकी नहीं" रह गया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मतुआ समाज अब एकजुट होकर टीएमसी को सत्ता से हटाने के लिए तैयार है। अपनी हालिया विदेश यात्रा को लेकर तृणमूल नेताओं द्वारा की गई आलोचना पर उन्होंने तीखा पलटवार किया। शांतनु ठाकुर ने कहा, "मेरी विदेश यात्रा को लेकर तृणमूल ने जो भी बुरी-भली बातें कही हैं, उसका जवाब हम या हमारी पार्टी नहीं, बल्कि बंगाल की जनता 2026 के चुनाव में देगी। बंगाल के हित में तृणमूल को हर हाल में सत्ता से हटाना होगा।"

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष शमीक भट्टाचार्य ने नागरिकता के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को घेरा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में धार्मिक या अन्य कारणों से अत्याचार सहकर भारत आए लोगों में से अधिकांश बनगांव इलाके में रहते हैं, और "ठाकुर परिवार (मतुआ महासंघ) की माँग हमेशा से ही इन शरणार्थियों को नागरिकता दिलाना थी।" शमीक भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीमा पार से पीड़ित होकर आए लोगों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही हैं और उनके लिए खड़ी नहीं हो रही हैं।

SIR के समर्थन में ठाकुरनगर में निकाली रैली

शमीक भट्टाचार्य ने वर्तमान में चल रही एसआईआर प्रक्रिया को लेकर तृणमूल कांग्रेस को खुली चुनौती दी। उन्होंने कहा, "आप इस एसआईआर प्रक्रिया को तुरंत बंद कर दीजिए, उसके बावजूद भी तृणमूल कांग्रेस 2026 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार जाएगी।" यह बयान दर्शाता है कि बीजेपी, एसआईआर और सीएए के मुद्दों को मतुआ वोट बैंक को एकजुट करने का एक बड़ा राजनीतिक हथियार बना रही है। शांतनु ठाकुर ने भी इस बात की पुष्टि की कि 2026 के चुनाव में मतुआ समुदाय टीएमसी का साथ नहीं देगा।

वरिष्ठ बीजेपी नेताओं की इस संयुक्त पदयात्रा और सभा से यह स्पष्ट हो गया है कि 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले मतुआ वोट बैंक को साधने की राजनीतिक जंग निर्णायक मोड़ ले चुकी है, और बीजेपी इस समुदाय के बीच अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिए नागरिकता और शरणार्थी कल्याण के मुद्दों पर आक्रामक रूप से आगे बढ़ रही है।

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