नयी दिल्ली : केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि 'विचाराधीन कैदी को हिरासत में रखने की अधिकतम अवधि' से संबंधित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस)-2023 की धारा 479 देशभर के विचाराधीन कैदियों पर पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होगी।केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि बीएनएसएस की धारा 479 (पहले इसकी जगह पर आईपीसी 436ए धारा थी) सभी विचाराधीन कैदियों पर लागू होगी, भले ही अपराध एक जुलाई, 2024 से पहले दर्ज किया गया हो। बीएनएसएस, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से प्रभावी हुए थे, जिन्होंने क्रमश: ब्रिटिश कालीन दंड प्रक्रिया संहिता, भारतीय दंड संहिता और 'इंडियन एविडेंस एक्ट' का स्थान लिया।
सजा का एक-तिहाई वक्त काट चुके विचाराधीन कैदी को जमानत दें
कोर्टकोर्ट ने केंद्र के इस अभिवेदन पर गौर किया और देशभर के जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे प्रावधान की उपधारा में उल्लिखित अवधि का एक तिहाई पूरा होने पर संबंधित अदालतों के माध्यम से विचाराधीन कैदियों के आवेदनों पर कार्रवाई करें। कोर्ट ने कहा कि कदम यथाशीघ्र, संभवत: तीन महीने के भीतर उठाए जाने चाहिए। मामले में न्यायमित्र अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने कोर्ट से कहा था कि विचाराधीन कैदियों को हिरासत में रखने की अधिकतम अवधि से संबंधित धारा 479 को जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए और इससे जेलों में भीड़भाड़ की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। एजेंसियां