सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कोलकाता एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) ने हावड़ा और हुगली जिलों के लिए ड्रोन उड़ान की अधिकतम ऊंचाई 120 मीटर तय की है। वहीं, जिन इलाकों में ऊंची इमारतें मौजूद हैं जैसे कि 268 मीटर ऊंची द 42 और जहां सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है, जैसे फोर्ट विलियम, उन्हें डिजिटल स्काई मैप में नो-फ्लाइंग जोन घोषित कर दिया गया है।
कोलकाता और उसके आसपास तीन मुख्य रेड जोन क्लस्टर बनाए गए हैं, जहां ड्रोन या अन्य अनमैंन्ड एरियल वेहिकल की उड़ान पर प्रतिबंध है :
1. मैदान क्षेत्र (फोर्ट विलियम के आसपास) – यह जोन चकपाड़ा से उत्तर में, मटियाब्रुज से पश्चिम में, टॉलीगंज क्लब से दक्षिण में और चिंगड़ीघाटा से पूर्व तक फैला है।
2. कोलकाता एयरपोर्ट क्षेत्र – यह जोन मध्यग्राम से उत्तर में, साल्ट लेक से दक्षिण में और बेलूर मठ से थोड़ा आगे पश्चिम में फैला हुआ है।
3. बैरकपुर कैंटोनमेंट से इच्छापुर राइफल फैक्ट्री तक – यह इलाका भी एक सक्रिय रेड जोन है।
यह व्यवस्था ड्रोन सुरक्षा और हवाई क्षेत्र के प्रबंधन को दुरुस्त करने के लिए लागू की गई है।
ड्रोन उड़ानों के लिए क्षेत्रवार नियम :
• रेड जोन : ये नो-फ्लाइंग एरिया होते हैं, जैसे हवाई अड्डों के 5 किलोमीटर के दायरे में। यहां ड्रोन उड़ाना सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति से संभव है।
• येलो जोन : ये क्षेत्र हवाई अड्डों से 8-12 किलोमीटर की दूरी पर होते हैं। यहां 200 फीट तक की उड़ान के लिए स्थानीय एटीसी से अनुमति लेनी होती है।
• ग्रीन जोन : इन क्षेत्रों में ड्रोन 400 फीट तक उड़ाए जा सकते हैं, लेकिन सुरक्षा नियमों का पालन अनिवार्य है और पहले से अनुमति की आवश्यकता नहीं होती।