कोलकाता : हिंदू धर्म मानने वालों के घर में मंदिर बनाकर भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा के दौरान भगवान को प्रसाद चढ़ाना या भोग लगाना भी अनिवार्य माना गया है। खासकर व्रत, त्योहारों के दौरान यह काफी जरूरी हो जाता है। अक्सर लोग भगवान को प्रसाद चढ़ाते समय कई तरह की गलतियां करते हैं। हालांकि, इनके बारे में उनको भी नहीं पता होता है। यही वजह है कि व्रत, पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता है। ऐसे में आपको बताएंगे कि पूजा-पाठ के दौरान प्रसाद चढ़ाने या भगवान को भोग लगाने के क्या नियम होते हैं।
भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद को कभी जमीन पर नहीं रखना चाहिए। भोग को भगवान की मूर्तियों के ज्यादा पास रखना भी अच्छा नहीं समझा जाता है। इसके साथ ही जब भी प्रसाद चढ़ाएं, भगवान के पास जल जरूर रखें। प्रसाद को हमेशा पीतल, चांदी, सोने या मिट्टी से बने पात्र में ही रखना चाहिए। केले के पत्ते में भी भोग लगाना शुभ समझा जाता है।
भोग लगाने के लिए फल और मिठाई सबसे बढ़िया मानी जाती है, जब भी भगवान को भोग लगाएं तो प्रसाद पूजा स्थल पर न छोड़ें। प्रसाद को तुरंत उठाकर स्वयं भी ग्रहण करें और घर व आस-पड़ोस में भी वितरित कर देना चाहिए, वरना घर में नकारात्मकता को न्यौता मिलता है।
अगर आपका व्रत है और प्रसाद अन्न के रूप में है तो ऐसी स्थिति में खुद प्रसाद ग्रहण न करें, बल्कि दूसरों को वितरित कर दें। वैसे तो सभी देवी-देवता के लिए अलग-अलग तरह के भोग का विधान है। वहीं, अगर आपको इसका ज्ञान हीं है या आपके लिए ऐसा करना संभव नहीं है तो आप मिठाई, मिश्री से भी भोग लगा सकते हैं।