सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग, अंडमान एवं निकोबार प्रशासन पूरे दक्षिण अंडमान में खुरपका-मुंहपका रोग की रोकथाम के लिए टीकाकरण अभियान चला रहा है। 2 जून को शुरू किए गए इस अभियान में अब तक गांवों, डेयरी फार्मों और व्यक्तिगत घरों में 5506 मवेशियों को टीका लगाया जा चुका है, जबकि महीने के अंत तक 9000 मवेशियों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है। मवेशियों पर पड़ने वाले तनाव को कम करने के लिए टीकाकरण दिन के ठंडे हिस्सों में किया जाता है। इस अभियान में पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों से संचालित ग्यारह समर्पित पशु चिकित्सा टीमें शामिल हैं। मानसून की बारिश के बावजूद इन टीमों के संयुक्त प्रयासों ने प्रतिदिन कम से कम 300-400 टीकाकरण की स्थिर गति बनाए रखी है। यह स्थिर प्रदर्शन विभाग की कुशल जमीनी स्तर की योजना और समन्वय को उजागर करता है। टीमों ने बहुत प्रतिबद्धता दिखाई है। सुबह-सुबह काम करना और मवेशियों को जुटाने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के साथ समन्वय करना। खुरपका और मुंहपका रोग एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है जो मवेशियों और अन्य खुर वाले जानवरों को प्रभावित करता है। इससे बुखार, मुंह और पैरों में घाव, लंगड़ापन और दूध उत्पादन में 30% तक की भारी गिरावट होती है। हालांकि यह बीमारी आमतौर पर घातक नहीं होती है, लेकिन यह ग्रामीण आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। अनुमान है कि राष्ट्रव्यापी एफएमडी से संबंधित नुकसान सालाना 20,000 करोड़ रुपये से अधिक है। द्वीपों में जहां अधिकांश डेयरी किसान छोटे धारक हैं, एफएमडी का प्रकोप विनाशकारी हो सकता है। टीकाकरण सबसे अच्छा बचाव है। विभाग का अभियान 2030 तक पूरे देश से एफएमडी उन्मूलन के भारत के लक्ष्य में योगदान देता है। पशुओं को टैग किया जाता है, टीका लगाया जाता है और भारत पशुधन पोर्टल पर वास्तविक समय में डेटा अपलोड किया जाता है, जिससे पता लगाने और राष्ट्रव्यापी निगरानी सुनिश्चित होती है। पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा विभाग ने सभी पशुपालकों से आग्रह किया है कि वे अपने घरों का दौरा करने वाली टीमों के साथ सहयोग करें और सुनिश्चित करें कि उनके मवेशियों का टीकाकरण हो। पशुधन के स्वास्थ्य की रक्षा में पशुपालकों का सहयोग महत्वपूर्ण है।