नयी दिल्ली /ब्रुसेल्स : भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को लेकर बेल्जियम की एंटवर्प कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने चोकसी को भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। । यह फैसला 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के मामले में भारत के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
अधिकारियों ने मनीकंट्रोल को बताया कि एंटवर्प की अदालत ने भारत के अनुरोध पर बेल्जियम अधिकारियों द्वारा की गई चोकसी की गिरफ्तारी को वैध माना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया, “अदालत का फैसला हमारे पक्ष में है। यह आदेश प्रत्यर्पण प्रक्रिया की दिशा में पहला बड़ा कानूनी कदम है।” हालांकि, अधिकारियों ने यह भी कहा कि 66 वर्षीय मेहुल चोकसी इस फैसले के खिलाफ बेल्जियम की उच्च अदालत में अपील करने का अधिकार रखते हैं।
पीएनबी घोटाले से जुड़े इस मामले को अब तक भारत का सबसे मजबूत कदम माना जा रहा है। इस फैसले को भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता बताया जा रहा है, क्योंकि 2018 में देश से फरार होने के बाद से ही मेहुल चोकसी की तलाश कई देशों में की जा रही थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने विदेश और गृह मंत्रालयों के साथ मिलकर बेल्जियम के अभियोजकों को चोकसी के खिलाफ ठोस सबूत और कानूनी दस्तावेज उपलब्ध कराए। चोकसी पर अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े बैंक घोटालों में से एक- पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी – को अंजाम देने का आरोप है। सीबीआई ने प्रत्यर्पण के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र के दो अंतरराष्ट्रीय समझौतों संघटित अपराध सम्मेलन (UNTOC) और भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन (UNCAC) के उल्लंघन का भी हवाला दिया है।